कोरोना वायरस: UNICEF ने जारी की चेतावनी, कहा- प्रतिदिन हो सकती है 6,000 बच्चों की मौत
पूरी दुनिया में हाहाकार मचाने वाले कोरोना वायरस ने स्वास्थ्य सेवाओं को भी कमजोर कर दिया है। इसको लेकर UNICEF ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि निरोधात्मक कारणों के चलते पूरी दुनिया में आगामी छह महीने तक प्रतिदिन 6,000 बच्चों की मौत हो सकती है। UNICEF के अनुसार अध्ययन में शामिल 118 देशों में मरने वाले 25 लाख बच्चों में से पांच साल से कम के 12 लाख बच्चे पहले छह माह में ही मर सकते हैं।
जॉन्स हॉपकिन्स SPH अध्ययन के आधार पर लगाया अनुमान
UNICEF की ओर से यह अनुमान 118 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मातृ और बाल मृत्यु दर पर महामारी के अप्रत्यक्ष प्रभावों के विश्लेषण के आधार पर लगाया है। यह विश्लेषण जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा तीन परिदृश्यों में किया गया था, जो कि आजीवन हस्तक्षेपों में कमी पर निर्भर करता है। इसे मंगलवार को द लांसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित किया गया था। इसमें बच्चों की मौत को लेकर चिंता जताई गई थी।
अध्ययन में सामने आई यह बात
अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में यदि 15 प्रतिशत की गिरावट आती है तो पांच साल से कम आयु के शिशुओं की मृत्यु दर में 9.8% (प्रति दिन अनुमानित 1,400) और मातृ मृत्यु दर में 8.3% प्रतिमाह की वृद्धि हो सकती है। इसी तरह यदि स्वास्थ्य सेवाओं में 45% की कमी आती है तो बच्चों की मृत्यु दर में 44.7% और मातृ मृत्यु दर में 38.6% प्रति माह की वृद्धि हो सकती है।
"मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी होगी विनाशकारी"
अध्ययन में शामिल विशेषज्ञों ने कहा, "हमारे अनुमान अस्थायी मान्यताओं पर आधारित हैं और परिणामों की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करते हैं।" उन्होंने कहा, "यदि नियमित स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होती है और लोगों को समय पर भोजन नहीं मिलता है तो उम्मीद के विपरीत परेशानी, स्वास्थ्य प्रणाली में गिरावट और महामारी से बचाव के लिए जानबूझकर अपनाए गए विकल्पों के कारण होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी विनाशकारी होंगी।"
'दूसरे विश्व युद्ध के बाद कोरोना वायरस के रूप में बच्चो पर आया बड़ा संकट'
UNICEF की ब्रिटेन की कार्यकारी निदेशक सचा देशमुख ने कहा, "इस महामारी के हम सभी के लिए दूरगामी परिणाम सामने आ रहे हैं, लेकिन बच्चों द्वारा झेला जाना वाले यह संकट दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक वैश्विक संकट है।" देशमुख ने कहा, "महामारी के कारण स्वास्थ्य प्रणालियों के कमजोर होने, शिक्षा व्यवस्था के चौपट होने और खाद्य आपूर्ति के बंद होने से बच्चों की जिंदगी खत्म होती दिखाई दे रही है।"
सबसे खराब स्थिति झेलने वाले देशों में भारत भी शामिल
UNICEF के अनुसार, जिन 10 देशों में सबसे अधिक बच्चों की मौत होने का अनुमान है, उनमें सबसे खराब स्थिति बांग्लादेश, ब्राजील, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, युगांडा और तंजानिया की है।
UNICEF ने पहले भी जारी की थी चेतावनी
UNICEF ने गत 26 अप्रैल को भी चेतावनी दी थी कि कोरोना महामारी के चलते लाखों बच्चे खसरा, डिप्थीरिया और पोलियो जैसे जीवन रक्षक टीके से वंचित रह सकते हैं। इससे उनकी जान को खतना बढ़ जाएगा। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने कहा था कि कोरोना महामारी से पहले हर साल खसरा, पोलियो और अन्य टीके एक साल से कम आयु के लगभग दो करोड़ बच्चे की पहुंच से दूर थे। ऐसे में अब खतरा और बढ़ जाएगा।