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    30 साल पहले ईरान जैसे अमेरिका ने भी गलती से मार गिराया था विमान, जानिए कहानी

    30 साल पहले ईरान जैसे अमेरिका ने भी गलती से मार गिराया था विमान, जानिए कहानी
    लेखन मुकुल तोमर
    Jan 12, 2020, 08:40 pm 1 मिनट में पढ़ें
    30 साल पहले ईरान जैसे अमेरिका ने भी गलती से मार गिराया था विमान, जानिए कहानी

    ईरान में इस हफ्ते बुधवार को एक बेहद दुखद हादसा हुआ। ईरान ने यूक्रेनियन एयरलाइंस के एक यात्री विमान को गलती से दुश्मन का विमान समझ कर मिसाइल से मार गिराया। इस हादसे में 176 लोग मारे गए। ईरान ने इसे एक मानवीय भूल बताते हुए घटना पर खेद व्यक्त किया है। दिलचस्प बात ये है कि ईरान की ये गलती 30 पहले अमेरिका के हाथों हुई एक ऐसी ही गलती से मिलती है। आइए इसकी पूरी कहानी जानते हैं।

    1988 में ईरान-इराक युद्ध के समय की है घटना

    ये घटना 1988 की है जब ईरान और इराक में युद्ध चल रहा था और अमेरिका इराक के साथ था। 3 जुलाई, 1988 को 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' में तैनात एक अमेरिकी जंगी जहाज ने दुबई जा रहे ईरान के यात्री जहाज IR655 को मार गिराया था। हादसे में 290 लोग मारे गए थे जिनमें 66 बच्चे भी शामिल थे। अमेरिका ने कहा था कि उसके जंगी जहाज ने यात्री विमान को गलती से ईरान का लड़ाकू विमान समझ लिया था।

    ईरानी बोट ने किया था अमेरिकी हेलीकॉप्टर पर हमला

    घटना के बाद मामले पर सफाई देते हुए अमेरिका ने बताया था कि ईरानी की सीमा के पास 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' में उसके दो जंगी जहाज, विनसेंज और मोंटगोमरी, तैनात थे। इसके अलावा इलाके में ईरान के भी कई जहाज तैनात थे। IR655 के उड़ान भरने से पांच मिनट पहले ईरान की एक गनबोट ने विनसेंज के हेलीकॉप्टर पर हमला किया और इसके बाद वो तेजी से विनसेंज की ओर आगे बढ़ने लगी।

    उच्च गति से विनसेंज की तरफ बढ़ रहा था विमान

    अमेरिका के अनुसार, ईरान की गनबोट को अपनी तरफ बढ़ता देख विनसेंज और मोंटगोमरी दोनों ने गोलाबारी शुरू कर दी जिसमें दो गनबोट डूब गईं। तभी सुबह के 10:47 बजे अमेरिकी नेवी ने एक विमान को उच्च गति पर विनसेंज की तरफ बढ़ते हुए पाया। तत्कालीन अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस विमान को कई बार चेतावनी देते हुए सैन्य और नागरिक दोनों तरह के सिग्नल भेजे गए, लेकिन उनसे न तो जवाब दिया और न ही अपना रास्ता बदला।

    रडार संचालकों के गलत निष्कर्ष के कारण हुई गलती

    इसी दौरान विनसेंज पर तैनात रडार संचालकों ने इस विमान के F-14 होने की बात कही जो उस समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक था। 10:54 बजे जब विमान विनसेंज से करीब नौ मील दूर था, तब उस पर जमीन से हवा में मार करने वाली दो मिसाइलें दागी गईं। ये दोनों मिसाइलें सीधे विमान में जाकर लगीं। बाद में पता चला कि ये F-14 लड़ाकू विमान नहीं बल्कि एक यात्री विमान था।

    हादसे के बाद क्या रही थी अमेरिकी की प्रतिक्रिया?

    हादसे के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने ईरान को भेजे राजनियक नोट में इसे एक भयानक मानव त्रासदी बताते हुए गहरा दुख व्यक्त किया था। हालांकि उन्होंने विनसेंज के कमांडर का बचाव करते हुए कहा था कि विमान सीधे उनकी तरफ बढ़ रहा था और उनके पास मिसाइल दागने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था। लड़ाई के इलाके में यात्री विमान भेजने के लिए अमेरिका ने ईरान को भी हादसे में बराबर का साझीदार बताया था।

    ईरान ने अपनी गलती मानने से किया था इनकार

    हालांकि ईरान ने हादसे में अपनी गलती मानने से इनकार करते हुए कहा था कि विमान के यात्री विमान होने का सिग्नल भेजने के बावजूद उसे मार गिराया गया। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उसने इसे सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया था।

    30 साल बाद ईरान ने दोहराई अमेरिका की गलती

    अब 30 साल बाद ईरान से भी अमेरिका जैसी गलती हुई है और उसने भी दुश्मन का विमान समझ यूक्रेन के यात्री विमान को मार गिराया। ईरान ने मामले पर माफी मांगते हुए कहा है कि रिवॉल्यूशनरी गार्ड के एक बेस के पास आते-आते विमान किसी दुश्मन के विमान की तरह बर्ताव करने लगा था और इन परिस्थितियों में मानवीय भूल के कारण उस पर मिसाइल दागी गई। ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने भी घटना पर दुख व्यक्त किया है।

    घटना से दो दिन पहले ही रुहानी ने किया था अमेरिकी की गलती का जिक्र

    दिलचस्प बात ये है कि बुधवार को ईरान की इस गलती से दो दिन पहले सोमवार को ही राष्ट्रपति रुहानी ने अमेरिका को 30 साल पहले उससे हुई यात्री विमान को मार गिराने की गलती को याद दिलाया था। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 52 ईरानी स्थलों पर हमला करने की धमकी का जवाब देते हुए उन्होंने लिखा था, 'जो नंबर 52 का हवाला दे रहे हैं, उन्हें नंबर 290 भी याद रखना चाहिए। ईरान को धमकी न दें।"'

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