NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    क्रिकेट समाचार
    नरेंद्र मोदी
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    राहुल गांधी
    #NewsBytesExplainer
    IPL 2025
    ऑपरेशन सिंदूर
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout

    देश
    राजनीति
    दुनिया
    बिज़नेस
    खेलकूद
    मनोरंजन
    टेक्नोलॉजी
    करियर
    अजब-गजब
    लाइफस्टाइल
    ऑटो
    एक्सक्लूसिव
    विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
    होम / खबरें / दुनिया की खबरें / क्या है ट्रम्प का धमकी भरा नंबर 52 और ईरानी राष्ट्रपति का नंबर 290?
    अगली खबर
    क्या है ट्रम्प का धमकी भरा नंबर 52 और ईरानी राष्ट्रपति का नंबर 290?

    क्या है ट्रम्प का धमकी भरा नंबर 52 और ईरानी राष्ट्रपति का नंबर 290?

    लेखन मुकुल तोमर
    Jan 08, 2020
    02:42 pm

    क्या है खबर?

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ईरान के 52 स्थलों को निशाना बनाने की धमकी का जवाब देते हुई ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने नंबर 290 का जिक्र किया था।

    सोमवार को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा था, "जो नंबर 52 का हवाला दे रहे हैं, उन्हें नंबर 290 भी याद रखन चाहिए। कभी भी ईरान को धमकी न दें।"

    ये नंबर 290 क्या है और रूहानी ने ट्रम्प के जवाब में इसका जिक्र क्यों किया, आइए जानते हैं।

    नंबर 290

    अमेरिका ने मार गिराया था ईरान का यात्री विमान

    नंबर 290 का संबंध 1988 की एक घटना से है।

    3 जुलाई, 1988 को 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' में तैनात एक अमेरिकी जंगी जहाज ने दुबई जा रहे ईरान के यात्री जहाज IR655 को मार गिराया था।

    हादसे में कुल 290 लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में 66 बच्चे भी शामिल थे।

    अमेरिका ने कहा था कि उसके जंगी जहाज ने यात्री विमान को गलती से ईरान का लड़ाकू विमान समझ लिया था।

    अमेरिकी पक्ष

    ईरानी बोट ने किया था अमेरिकी हेलीकॉप्टर पर हमला

    जिस समय ये घटना हुई तब ईरान और इराक का युद्ध चल रहा था जिसमें अमेरिका इराक की मदद कर रहा था।

    अमेरिका के अनुसार, 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' में उसके दो जंगी जहाज, विनसेंज और मोंटगोमरी, तैनात थे। इसके अलावा इलाके में ईरान के भी कई जहाज तैनात थे।

    IR655 के उड़ान भरने से पांच मिनट पहले ईरान की एक गनबोट ने विनसेंज के हेलीकॉप्टर पर हमला किया और इसके बाद विनसेंज की ओर आगे बढ़ने लगी।

    घटना

    उच्च गति से विनसेंज की तरफ बढ़ रहा था विमान

    अमेरिका के अनुसार, ईरान की गनबोट को अपनी तरफ बढ़ता देख विनसेंज और मोंटगोमरी दोनों ने गोलाबारी शुरू कर दी जिसमें दो गनबोट डूब गईं।

    तभी सुबह के 10:47 बजे अमेरिकी नेवी ने एक विमान को उच्च गति पर विनसेंज की तरफ बढ़ते हुए पाया।

    तत्कालीन अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस विमान को कई बार चेतावनी देते हुए सैन्य और नागरिक दोनों तरह के सिग्नल भेजे गए, लेकिन उनसे न तो जवाब दिया और न ही अपना रास्ता बदला।

    गलती

    रडार संचालकों ने विमान को बताया F-16 लड़ाकू विमान

    इसी दौरान विनसेंज पर तैनात रडार संचालकों ने इस विमान के F-14 होने की बात कही जो उस समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक था।

    10:54 बजे जब विमान विनसेंज से करीब नौ मील दूर था, तब उस पर जमीन से हवा में मार करने वाली दो मिसाइलें दागी गईं। ये दोनों मिसाइलें सीधे विमान में जाकर लगीं।

    बाद में पता चला कि ये F-14 लड़ाकू विमान नहीं बल्कि एक यात्री विमान था।

    दुख

    अमेरिकी राष्ट्रपति ने जताया था घटना पर दुख

    हादसे के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने ईरान को भेजे राजनियक नोट में इसे एक भयानक मानव त्रासदी बताते हुए गहरा दुख व्यक्त किया था।

    हालांकि उन्होंने विनसेंज के कमांडर का बचाव करते हुए कहा था कि विमान सीधे उनकी तरफ बढ़ रहा था और उनके पास मिसाइल दागने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था।

    लड़ाई के इलाके में यात्री विमान भेजने के लिए अमेरिका ने ईरान को भी हादसे में बराबर का साझीदार बताया था।

    जानकारी

    ईरान ने अपनी गलती मानने से किया इनकार

    हालांकि ईरान ने हादसे में अपनी गलती मानने से इनकार करते हुए कहा था कि विमान के यात्री विमान होने का सिग्नल भेजने के बावजूद उसे मार गिराया गया। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उसने इसे सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया था।

    ट्रम्प

    ट्रम्प ने क्यों किया था 52 नंबर का जिक्र?

    वहीं ट्रम्प ने जिस नंबर 52 का जिक्र किया उसकी बात करें तो उसका संबंध तेहरान के अमेरिकी दूतावासा में बंधक बनाए गए अमेरिकियों से है।

    दरअसल, 1979 में एक भीड़ ने तेहरान स्थित अमेरिकी दूतावास पर हमला कर 66 अमेरिकी लोगों को बंधक बना लिया गया।

    इनमें से 52 अमेरिकी लोगों को 444 दिन बंदी बनाए जाने के बाद 20 जनवरी, 1981 को छोड़ा गया था। ट्रम्प का इशारा इन्हीं 52 लोगों की तरफ था।

    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    ताज़ा खबरें
    ईरान
    डोनाल्ड ट्रंप
    हसन रूहानी

    ताज़ा खबरें

    महिला वनडे विश्व कप 2025: अहम मैचों की तारीखें घोषित, जानिए कब और कहां खेले जाएंगे   भारतीय महिला क्रिकेट टीम
    IPL में श्रेयस अय्यर का RCB के खिलाफ कैसा रहा है प्रदर्शन? जानिए उनके आंकड़े इंडियन प्रीमियर लीग
    रेखा की फिल्म 'उमराव जान' सिनेमाघरों में दोबारा हो रही रिलीज, जानिए कब देख पाएंगे रेखा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर बोले- सेना युद्ध लड़ने की तैयारी की ओर बढ़ रही है ब्रिटेन

    ईरान

    कुलभूषण जाधव मामला: पाकिस्तान ने सबूत के तौर पर पेश किया अजीत डोभाल का बयान भारत की खबरें
    ओसामा बिन लादेन के बेटे की जानकारी देने वाले को अमेरिका देगा 10 लाख डॉलर पाकिस्तान समाचार
    ईरान: इंटरनेशनल फाइट जीतकर महिला बॉक्सर ने रचा इतिहास, लेकिन घर जाने पर लगी रोक खेलकूद
    अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा- 'मोदी है तो मुमकिन है', देखें वीडियो दक्षिण कोरिया

    डोनाल्ड ट्रंप

    फ्रांस में ट्रंप और मोदी की बैठक आज, कश्मीर मुद्दे पर होगी चर्चा कश्मीर
    ट्रम्प की मौजूदगी में बोले मोदी, कश्मीर भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला, बाहरी दखल की जरूरत नहीं भारत की खबरें
    अमेरिका: टेक्सास में एक महीने के अंदर गोलीबारी की दूसरी घटना, 5 की मौत, 21 घायल फेसबुक
    प्रधानमंत्री मोदी और इमरान खान एक ही दिन करेंगे UN महासभा को संबोधित भारत की खबरें

    हसन रूहानी

    जनरल सुलेमानी को मारने के लिए ईरान ने पूरी अमेरिकी सेना को घोषित किया आतंकवादी ईरान
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स IPL 2025
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2025