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    दुनिया

    क्या है ट्रम्प का धमकी भरा नंबर 52 और ईरानी राष्ट्रपति का नंबर 290?

    क्या है ट्रम्प का धमकी भरा नंबर 52 और ईरानी राष्ट्रपति का नंबर 290?
    लेखन मुकुल तोमर
    Jan 08, 2020, 02:42 pm 1 मिनट में पढ़ें
    क्या है ट्रम्प का धमकी भरा नंबर 52 और ईरानी राष्ट्रपति का नंबर 290?

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ईरान के 52 स्थलों को निशाना बनाने की धमकी का जवाब देते हुई ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने नंबर 290 का जिक्र किया था। सोमवार को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा था, "जो नंबर 52 का हवाला दे रहे हैं, उन्हें नंबर 290 भी याद रखन चाहिए। कभी भी ईरान को धमकी न दें।" ये नंबर 290 क्या है और रूहानी ने ट्रम्प के जवाब में इसका जिक्र क्यों किया, आइए जानते हैं।

    अमेरिका ने मार गिराया था ईरान का यात्री विमान

    नंबर 290 का संबंध 1988 की एक घटना से है। 3 जुलाई, 1988 को 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' में तैनात एक अमेरिकी जंगी जहाज ने दुबई जा रहे ईरान के यात्री जहाज IR655 को मार गिराया था। हादसे में कुल 290 लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में 66 बच्चे भी शामिल थे। अमेरिका ने कहा था कि उसके जंगी जहाज ने यात्री विमान को गलती से ईरान का लड़ाकू विमान समझ लिया था।

    ईरानी बोट ने किया था अमेरिकी हेलीकॉप्टर पर हमला

    जिस समय ये घटना हुई तब ईरान और इराक का युद्ध चल रहा था जिसमें अमेरिका इराक की मदद कर रहा था। अमेरिका के अनुसार, 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' में उसके दो जंगी जहाज, विनसेंज और मोंटगोमरी, तैनात थे। इसके अलावा इलाके में ईरान के भी कई जहाज तैनात थे। IR655 के उड़ान भरने से पांच मिनट पहले ईरान की एक गनबोट ने विनसेंज के हेलीकॉप्टर पर हमला किया और इसके बाद विनसेंज की ओर आगे बढ़ने लगी।

    उच्च गति से विनसेंज की तरफ बढ़ रहा था विमान

    अमेरिका के अनुसार, ईरान की गनबोट को अपनी तरफ बढ़ता देख विनसेंज और मोंटगोमरी दोनों ने गोलाबारी शुरू कर दी जिसमें दो गनबोट डूब गईं। तभी सुबह के 10:47 बजे अमेरिकी नेवी ने एक विमान को उच्च गति पर विनसेंज की तरफ बढ़ते हुए पाया। तत्कालीन अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस विमान को कई बार चेतावनी देते हुए सैन्य और नागरिक दोनों तरह के सिग्नल भेजे गए, लेकिन उनसे न तो जवाब दिया और न ही अपना रास्ता बदला।

    रडार संचालकों ने विमान को बताया F-16 लड़ाकू विमान

    इसी दौरान विनसेंज पर तैनात रडार संचालकों ने इस विमान के F-14 होने की बात कही जो उस समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक था। 10:54 बजे जब विमान विनसेंज से करीब नौ मील दूर था, तब उस पर जमीन से हवा में मार करने वाली दो मिसाइलें दागी गईं। ये दोनों मिसाइलें सीधे विमान में जाकर लगीं। बाद में पता चला कि ये F-14 लड़ाकू विमान नहीं बल्कि एक यात्री विमान था।

    अमेरिकी राष्ट्रपति ने जताया था घटना पर दुख

    हादसे के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने ईरान को भेजे राजनियक नोट में इसे एक भयानक मानव त्रासदी बताते हुए गहरा दुख व्यक्त किया था। हालांकि उन्होंने विनसेंज के कमांडर का बचाव करते हुए कहा था कि विमान सीधे उनकी तरफ बढ़ रहा था और उनके पास मिसाइल दागने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था। लड़ाई के इलाके में यात्री विमान भेजने के लिए अमेरिका ने ईरान को भी हादसे में बराबर का साझीदार बताया था।

    ईरान ने अपनी गलती मानने से किया इनकार

    हालांकि ईरान ने हादसे में अपनी गलती मानने से इनकार करते हुए कहा था कि विमान के यात्री विमान होने का सिग्नल भेजने के बावजूद उसे मार गिराया गया। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उसने इसे सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया था।

    ट्रम्प ने क्यों किया था 52 नंबर का जिक्र?

    वहीं ट्रम्प ने जिस नंबर 52 का जिक्र किया उसकी बात करें तो उसका संबंध तेहरान के अमेरिकी दूतावासा में बंधक बनाए गए अमेरिकियों से है। दरअसल, 1979 में एक भीड़ ने तेहरान स्थित अमेरिकी दूतावास पर हमला कर 66 अमेरिकी लोगों को बंधक बना लिया गया। इनमें से 52 अमेरिकी लोगों को 444 दिन बंदी बनाए जाने के बाद 20 जनवरी, 1981 को छोड़ा गया था। ट्रम्प का इशारा इन्हीं 52 लोगों की तरफ था।

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