पृथ्वी के लिए 2024 रहा सबसे गर्म साल, टूटे सारे रिकॉर्ड
क्या है खबर?
पृथ्वी के लिए 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा, जिसमें वैश्विक तापमान ने नया रिकॉर्ड बनाया। पिछले साल 10 जुलाई को सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया।
यूरोपीय आयोग की कोपरनिकस जलवायु सेवा, यूनाइटेड किंगडम (UK) के मौसम विभाग और जापान की मौसम एजेंसी ने पुष्टि की है कि तापमान 1800 के दशक के बाद पहली बार 1.5 डिग्री सेल्सियस की पेरिस जलवायु सीमा को पार कर गया।
यूरोपीय डाटा ने इसे 1.6 डिग्री सेल्सियस तक दिखाया है।
वजह
ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव और जलवायु परिवर्तन
कोपरनिकस की सामंथा बर्गेस के अनुसार, ग्रीनहाउस गैसों की वृद्धि से तापमान, समुद्र स्तर और बर्फ पिघलने की दर बढ़ रही है।
2024 ने 2023 की गर्मी को पीछे छोड़ दिया, जो वैज्ञानिकों के अनुसार असामान्य रूप से बड़ी छलांग है। पिछले 10 साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे।
10 जुलाई, 2024 को औसत तापमान 17.16 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि तापमान में यह वृद्धि जलवायु संकट को गहरा कर रही है।
चेतावनी
जलवायु संकट की चेतावनी
वैज्ञानिकों ने कहा कि यह तापमान वृद्धि पृथ्वी के लिए एक चेतावनी है।
जॉर्जिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्शल शेफर्ड ने इसे 'डैशबोर्ड पर चेतावनी' बताया है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसे बाढ़, तूफान और जंगल की आग लगातार बढ़ रहे हैं।
वुडवेल क्लाइमेट रिसर्च सेंटर की जेनिफर फ्रांसिस ने कहा कि जलवायु अलार्म लगातार तेज हो रहे हैं। बीमा कंपनी म्यूनिख रे के मुताबिक, 2024 में जलवायु आपदाओं से लगभग 12,000 अरब रुपये का नुकसान हुआ है।
सीमा
1.5 डिग्री की सीमा पार
2024 में पहली बार वार्षिक तापमान ने 1.5 डिग्री की सीमा पार की। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह लक्ष्य दीर्घकालिक औसत के लिए है, जो अब 20 वर्षों के औसत के रूप में मापा जाता है।
उत्तरी इलिनोइस विश्वविद्यालय के विक्टर जेनसिनी ने कहा कि यह सीमा पार करना पेरिस समझौते का उल्लंघन है।
2018 के एक अध्ययन ने दिखाया कि 1.5 डिग्री से कम तापमान रखने से कोरल रीफ और अंटार्कटिका की बर्फ को बचाया जा सकता है।
संभावनाएं
आगे के संकेत और संभावनाएं
2024 के बाद 2025 थोड़ा कम गर्म हो सकता है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु संकट जारी रहेगा। कोपरनिकस के कार्लो बुओनटेम्पो ने कहा कि महासागरों की गर्मी बढ़ रही है, जिससे नई चुनौतियां सामने आ रही हैं।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि यह स्थिति डायस्टोपियन साइंस-फाई फिल्म के अंत जैसी है। कुछ अन्य वैज्ञानिकों ने कहा है कि इंसान अब जलवायु पर अपने कार्यों का नतीजा भुगत रहा है।