नॉर्वे: अस्पताल में हो गई बच्चों की अदला-बदली, 60 साल बाद DNA जांच से खुला राज
क्या आपने अब तक फिल्मों में नवजात बच्चों की बदली देखी है? लेकिन ऐसा असल में भी होता है। नॉर्वे की दो महिलाओं को लगभग 60 साल बाद पता चला कि उनकी बच्चियों को जन्म के समय बदल दिया गया था। साल 1965 में महिलाओं ने एगेस्बोएन्स नामक एक निजी अस्पताल में अपने बच्चों को जन्म दिया था। 7 दिन के बाद दोनों महिलाएं बच्चियों के साथ अपने-अपने घर चली गई थीं।
क्या है मामला?
उपरोक्त 2 महिलाओं में से एक का नाम करेन राफ्टसेथ डॉककेन है, जो अब 78 वर्ष की हो गई हैं। उन्हें DNA टेस्ट से पता चला कि वह जिस बेटी को 6 दशक से अपना मानकर उसे बड़ा कर रही थी, वह असल में उनकी है ही नहीं। इसके बाद डॉककेन ने राज्य और नगर पालिका पर मुकदमा कर दिया, जो बीते सोमवार (11 नवंबर) को ओस्लो जिला अदालत में खुला।
अस्पताल के अधिकारियों ने छुपाई अपनी गलती
महिलाओं ने अदालत में कहा कि जब दोनों महिलाओं की लड़कियां किशोर थीं, तब अस्पताल के अधिकारियों ने अपनी गलती का पता लगाया और इसे छुपाया, जिससे उनके मानवाधिकारियों का उल्लंघन हुआ है। उनका दावा है कि नॉर्वेजियन अधिकारियों ने पारिवारिक जीवन के उनके अधिकार को कम कर दिया है इसलिए वे माफी और मुआवजे के हकदार हैं। नॉर्वेजियन ब्रॉडकास्टर NRK के मुताबिक, डॉककेन ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मोना उनकी बेटी नहीं है।
मोना को 2021 में DNA टेस्ट से पता चली असलियत
मोना ने बताया, "जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई, मुझे कभी भी अपने माता-पिता से अपनेपन का अहसास नहीं हुआ। इस अनिश्चितता की भावना ने मुझे साल 2021 में DNA टेस्ट कराने के लिए प्रेरित किया, जिससे मुझे पता चला कि मैं डॉककेन की असल बेटी नहीं है।" वहीं दूसरी अज्ञात महिला को साल 1981 में ही पता चल गया था कि उसकी बेटी लिंडा कैरिन रिसविक गोटास उनकी नहीं है। इसके बावजूद उसने इस बात का खुलासा नहीं किया।
बच्चों के बदली होने का कारण
मोना की वकील क्रिस्टीन आर्रे हैन्स ने कहा कि "बीते इतने वर्षों में उसकी अपनी पहचान के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।" NRK की मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि 1950 -1960 के दशक के दौरान ऐसे कई मामले थे, जहां एक संस्थान में गलती से बच्चों की अदला-बदली कर दी गई थी। बच्चों के बदली होने का कारण था कि माताएं अलग कमरे में होती थी, जबकि नवजात बच्चों को एक ही कमरे में एकसाथ रखा जाता था।
मामले का फैसला अभी स्पष्ट नहीं
नॉर्वेजियन राज्य के वकील असगीर न्यागार्ड इस आधार पर मामला लड़ रहे हैं कि साल 1965 में बच्चों की अदला-बदली एक निजी संस्थान में हुई और 1980 के दशक में स्वास्थ्य निदेशालय के पास गलती का पता चलने पर अन्य परिवारों को सूचित करने का कानूनी अधिकार नहीं था। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में मुआवजे का कोई आधार नहीं है। इस मामले की सुनवाई गुरुवार (14 नवंबर) तक चलने वाली है, लेकिन फैसले की तारीख सामने नहीं आई।