रहस्यमय हीरों का हार 40 करोड़ रुपये में नीलाम हुआ, 50 साल पुराना है इसका इतिहास
500 हीरों से सजा हुआ एक दुर्लभ हार स्विट्जरलैंड के जिनेवा में नीलाम हुआ है, जिसे लोग बेहद रहस्यमय कह रहे हैं। इस हार को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने अपनी ताजपोशी में पहना था। यह हार 18वीं सदी का बताया जा रहा है, जो इतने सालों में कई लोगों के स्वामित्व में रह चुका है। अब इस हार को करोड़ों की कीमत पर एक अज्ञात महिला को बेच दिया गया है। आइए इसके विषय में विस्तार से जानें।
40 करोड़ रुपये में बिका यह नायाब हार
इस नायाब हार में 300 कैरेट के हीरे जड़े हुए हैं और इसे सोथबी नामक नीलामी घर द्वारा नीलाम किया गया है। इसे रॉयल और नोबल ज्वेल्स सेल के तहत बेचा गया है। नीलामीकर्ताओं का अनुमान था कि यह हार 15 से 23 करोड़ रुपये तक की कीमत पर बिकेगा। हालांकि, इसे अज्ञात महिला ने 40 करोड़ रुपये की भारी कीमत पर खरीद लिया। महिला ने मोबाइल के जरिए बोली लगाई थी और वह जीतकर बेहद खुश थीं।
महिला हार को हासिल करके हुईं थी बेहद खुश
सोथबी के आभूषण विभाग के अध्यक्ष एंड्रेस व्हाइट कोरियल ने बताया कि महिला बोली लगाते समय पीछे नहीं हट रही थीं। उन्होंने कहा, "बाजार में शानदार उत्पत्ति वाले ऐतिहासिक रत्नों के लिए स्पष्ट रूप से जगह है। लोग न केवल वस्तु खरीद रहे हैं, बल्कि वे उससे जुड़ा इतिहास भी खरीद रहे हैं।" उन्होंने बताया कि जब महिला ने आखिरकार इस हार को हासिल कर लिया, तब वह बेहद खुश थीं और उनकी खुशी साफ जाहिर भी हो रही थी।
इस हार ने फ्रांस की दिवंगत रानी के लिए एक खड़ा कर दिया था विवाद
3 लेयर वाला यह हार महारानी की ताजपोशी के अलावा किंग जॉर्ज VI के राज्याभिषेक में भी मार्केस ऑफ एंगलसी परिवार के सदस्यों द्वारा पहना गया था। कुछ आभूषण इतिहासकारों का मानना है कि इस हार में उस कुख्यात आभूषण के हीरे जड़े हुए हैं, जिसने फ्रांस की दिवंगत रानी मैरी एंटोनेट के लिए एक विवाद खड़ा कर दिया था। उन पर इस हार का भुगतान न करने का झूठा आरोप लगाया गया था।
भारत की खदानों से प्राप्त हुए थे इस हार में लगे हीरे
इस हार को 3 लेयर में तैयार किया गया है, जिसकी प्रत्येक लेयर दोनों सिरों से लटकनों से जुड़ी हुई है। किसी को इस बात की जानकारी नहीं है कि इसे किसने डिजाइन किया था और इसे किसके लिए बनवाया गया था। हालांकि, नीलामी घर का मानना है कि इतना प्रभावशाली प्राचीन आभूषण केवल एक शाही परिवार के लिए ही बनाया जा सकता था। इस हार में लगे हीरे भारत की प्रसिद्ध गोलकोंडा खदानों से प्राप्त किए गए थे।