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हैदराबाद: डॉक्टरों ने मरीज के शरीर से निकालीं लगभग 1,000 पथरियां, 3 साल से था परेशान
हैदराबाद के डॉक्टरों ने मरीज के शरीर से 1,000 से अधिक पथरियां निकालीं

हैदराबाद: डॉक्टरों ने मरीज के शरीर से निकालीं लगभग 1,000 पथरियां, 3 साल से था परेशान

लेखन गौसिया
Dec 06, 2022
07:52 pm

क्या है खबर?

हैदराबाद में एक अस्पताल के डॉक्टरों ने मंगलवार को एक मरीज के लिवर, पित्ताशय की थैली और आम पित्त नली से 1,000 से ज्यादा पथरी निकाले जाने की सूचना दी। इन पथरियों का आकार पांच मिलीमीटर से 50 मिलीमीटर तक है। डॉक्टरों के मुताबिक, सर्जरी के पांच दिनों के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई और अब वह बिल्कुल ठीक हैं। आइए घटना के बारे में विस्तार से जानते हैं।

जांच

पश्चिम बंगाल का रहने वाला है मरीज

पश्चिम बंगाल के रहने वाले इस 39 वर्षीय मरीज को पेट में दर्द और पीलिया की वजह से पिछले तीन साल में बार-बार कोलकाता के अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। इसके बाद जांच में पता चला कि मरीज के लिवर, पित्ताशय की थैली और आम पित्त नली में कई पथरियां हैं। इनका आकार मूंगफली के आकार से लेकर नींबू के आकार तक का है। इसके बाद सर्जरी के लिए उन्हें हैदराबाद के मेडिकवर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

सर्जरी

पथरियों के कारण पित्त नली प्रणाली में आ गई थी सूजन

मेडिकवर हॉस्पिटल के कंसल्टेंट-लिवर ट्रांसप्लांट और हेपाटो पैनक्रिएटो बाइलरी (HPB) सर्जन डॉ किशोर रेड्डी ने एक टीम का गठन करके मरीज की सर्जरी की। मीडिया से बात करते हुए डॉ रेड्डी के बताया, "मरीज का पूरा पित्त तंत्र, पित्ताशय और लिवर कई पथरियां होने के कराण ब्लॉक हो गए थे। शरीर में बड़ी संख्या में पथरियां मौजूद होने की वजह से मरीज को हैजांगाइटिस (पित्त नली प्रणाली में सूजन) भी हो गया था।"

बयान

सफल रही मरीज की सर्जरी

इंडियन एक्प्रेस के मुताबिक, डॉ रेड्डी ने कहा कि सर्जरी के दौरान उन्हें मरीज की कॉलेसिस्टेक्टोमी करनी पड़ी यानी मरीज की पित्ताशय की थैली को हटाना पड़ा। उन्होंने कहा, "हमने मरीज की मुख्य पित्त नली को खोलकर उसमें से लगभग 250 ग्राम पथरियों (1,000 से ज्यादा पथरियां) को अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल करके हटा दिया। इसके बाद मुख्य पित्त नली को आंत से जोड़ दिया। इस सर्जरी में हमें सफलता मिली है।"

जानकारी

दैनिक गतिविधियां करने में सक्षम हुआ मरीज

डॉक्टरों के मुताबिक, सफलतापूर्वक सर्जरी हो जाने के पांच दिन बाद मरीज को वापस घर भेज दिया गया था क्योंकि वह बिल्कुल ठीक था और उसका स्वास्थ्य भी अच्छा था। इसके अलावा अब मरीज वापस से अपनी दैनिक गतिविधियां करने में सक्षम हो गया है।