
स्वामी विवेकानंद की जयंती पर क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस?
क्या है खबर?
राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी को मनाने की एक खास वजह है। इस दिन 1863 में स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में हुआ था।
विवेकानंद का नाम इतिहास में एक ऐसे विद्वान के रूप में दर्ज है, जिन्होंने मानवता की सेवा को अपना सर्वोपरि धर्म माना।
दरअसल, वह हर चीज में परिपक्व माने जाते थे और वह धर्म, दर्शन, इतिहास, साहित्य, कला के साथ-साथ समाजिक विज्ञान के ज्ञाता थे।
स्थापना
विवेकानंद ने 1897 में की थी रामकृष्ण मिशन की स्थापना
विवेकानंद ने मानवता की सेवा और परोपकार के लिए 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी।
वह एक ऐसी संस्था स्थापित करना चाहते थे जिसके सदस्य सेवाभाव से देश के लोगों का नैतिक उत्थान कर उन्हे आत्मसम्मान तथा देशसेवा का पाठ पढ़ा सकें।
वह इस मिशन के माध्यम से ही जीवन भर समाज सुधार के कार्यों में लगे रहे।
बता दें कि आज भी रामकृष्ण मिशन की लगभग 221 शाखाएं भारत सहित विश्व के अन्य देशों मे स्थापित हैं।
आजादी
आजादी के बारे में क्या थे स्वामी विवेकानंद के विचार?
भारत की आजादी की लड़ाई में विवेकानंद का योगदान उनके विचारों और कार्यों से स्पष्ट होता है।
सच तो है यह कि वह महात्मा गांधी से लेकर अनेक स्वतंत्रता सेनानियों के प्रेरणा स्रोत रहे और देशवासियों को तैयार होने के लिए कहते रहते थे।
संन्यासी होने की वजह से वह राजनीति में कभी सक्रिय नही रहे। लेकिन उनके विचारों ने स्वतंत्रता सेनानियों को प्रभावित किया और देश की राह पर चलते रहने की प्रेरणा दी।
धर्म संसद
अमेरिका में धर्म संसद के दौरान विवेकानंद के भाषण की हुई थी तारीफ
अमेरिका में 11 सितंबर, 1893 को धर्म संसद का आयोजन हुआ, जिसमें विवेकानंद भी शामिल हुए।
उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत हिंदी में ये कहकर की कि 'अमेरिका के भाइयों और बहनों'।
इस धर्म संसद में उनका भाषण इतना जोरदार था कि उनके भाषण पर आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में पूरे दो मिनट तक तालियां बजती रहीं।
यह घटना आज भी भारत के इतिहास में एक गर्व और सम्मान के तौर पर दर्ज है।
विवेकानंद
महज 39 साल की उम्र में ही संसार छोड़ कर चले गए विवेकानंद
विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट में वकील थे और उनकी मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।
स्वामी विवेकानंद का निधन 4 जुलाई, 1902 को जब हुआ तब उनकी उम्र 39 साल और 5 माह के आसपास थी। मृत्यु से पहले उन्होंने खुद को दुनिया से अलग करना शुरू कर दिया था।
इतनी कम उम्र में ही संसार से विदा लेने वाले विवेकानंद ने दुनिया को अपने विचारों और कर्मों की अनमोल धरोहर सौंपी है।
घोषणा
कब से और क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस?
विवेकानंद के आदर्शों की ओर देश के युवाओं को प्रेरित करने के लिए 1984 में भारत सरकार की तरफ से उनके जन्मदिन को पहली बार राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई। इसके बाद 1985 से ही यह एक परंपरा बन गई।
विवेकानंद का युवाओं की तरफ अधिक झुकाव था और उनका मानना था कि युवा किसी भी देश की दिशा बदल सकते हैं, इसलिए उनके जन्मदिन को युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।