यहां जेल के कैदी चला रहे ब्यूटी पार्लर, सेवाएं मार्केट से सस्ती
अक्सर जेल के प्रशासक कैदियों के लिए कुछ ऐसा सोच लेते हैं, जिसकी उम्मीद कैदियों को भी नहीं हो सकती। हम बात कर रहे हैं केरल के तिरूवनंतपुरम की एक जेल की जहां जेल के प्रशासकों ने कैदियों के लिए अनोखी पहल की है। दरअसल, केरल के तिरुवनंतपुरम में पुरूषों का ब्यूटी पार्लर खोला गया है। ये पार्लर पूजापुरा सेंट्रल जेल प्रशासन ने पुनर्वास मिशन के तहत शुरू किया है, जिसे कुल 20 कैदी मिलकर चलाएंगे। आगे पढ़ें।
इस पार्लर की सेवाएं बाजार की तुलना में किफायती
इस ब्यूटी पार्लर को शहर के एक पुराने भवन को रिनोवेट करके बनाया गया है। इस पार्लर की खासियत तो यह है कि यहां दी जाने वाली सेवाएं बाजार की तुलना में किफायती हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इस पार्लर का निर्माण कराने में लगभग नौ लाख रुपए का खर्च आया है। सेंट्रल जेल पूजापुरा के सहायक अधीक्षक ग्रेड रतीश आरसी ने बताया कि सभी कैदियों को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है।
इस तरह से कैदियों को होगा फायदा
जेल अधिकारियों के अनुसार, इस पार्लर को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य कैदियों को मुख्यधारा में लाना है। केरल में कैदियों द्वारा चलाया जाने वाला ये दूसरा ब्यूटी पार्लर है, क्योंकि इससे पहले कुन्नूर सेंट्रल जेल में कैदी एक ब्यूटी पार्लर संचालित कर रहे हैं। इस प्रयास से मिलने वाली रकम को कैदियों के कल्याण कोष में जमा किया जाएगा, जिससे ऑनलाइन सेवाओं जैसे दूसरे प्रयासों की भी कोशिश की जाएगी।
इसके बाद महिला कैदियों द्वारा भी खुलवाया जाएगा पार्लर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कमिश्नर श्रीलेखा ने बताया कि पार्लर के लिए अधिकारियों ने कैदियों को प्रशिक्षित किया है, जिसकी वजह से पार्लर में सेवा का कार्यकाल पूरा करने के बाद वह कही भी यह काम कर सकते हैं। उन्होनें यह भी बताया कि जल्द ही वे महिला कैदियों के लिए भी पार्लर की शुरुआत करने वाले हैं, ताकि यहां से निकलने के बाद वह बेरोजगार न रहें।
इससे पहले कैदियों द्वारा चलाया जा रहा है पैट्रोल पंप
यह पहली बार नहीं जब जेल प्रशासकों ने कैदियों के हित के लिए किसी चीज की शुरूआत की है। दरअसल, इससे पहले जेल विभाग ने राज्य के तीन केंद्रीय कारागारों के बाहरी परिसरों में पेट्रोल पंप खोला है, जिसे चुने गए कैदी चला रहे हैं। जेल अधिकारियों के मुताबिक, यहां कैदियों को शिफ्ट के आधार पर पेट्रोल पंप चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है और जेल के नियमों के मुताबिक उन्हें उनके काम का मेहनताना भी दिया जाता है।