
अब्राहम लिंकन के खून से सने हुए दस्ताने हुए नीलाम, कीमत जानकर रह जाएंगे हैरान
क्या है खबर?
अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे, जो 1861 से 1865 के बीच इस पद पर रहे।
उनकी मृत्यु 15 अप्रैल, 1865 को सुबह 7:22 बजे हुई थी, जब वाशिंगटन डीसी के फोर्ड थियेटर में नाटक देखने के दौरान जॉन विल्क्स बूथ ने उन्हें गोली मार दी थी।
उनकी हत्या के बाद पूरा देश दंग रह गया था। अब उनके खून से सने हुए दस्तानों की नीलामी करवाई गई है, जो उनसे जुड़ी अन्य वस्तुओं का हिस्सा थे।
नीलामी
नीलामी के दौरान मौजूद थीं लिंकन से जुड़ी 144 वस्तुएं
ये दस्ताने चमड़े से बने हैं, जो हत्या के समय लिंकन की जेब में रखे थे। इनपर खून के कई दाग भी लगे हुए हैं।
यह नीलामी बुधवार को शिकागो स्थित फ्रीमैन/हिंडमैन नामक नीलामीघर द्वारा आयोजित करवाई गई थी। इसमें पूर्व राष्ट्रपति लिंकन से जुड़ी 144 अन्य वस्तुएं भी मौजूद थीं, जिनमें से 136 बेचीं गई थीं।
इन्हें उस संग्रह से अलग किया गया था, जिसे हमेशा के लिए प्रदर्शन के लिए उपलब्ध कराने का इरादा था।
राशि
करोड़ों का उधार चुकाने के लिए करवाई गई यह नीलामी
इन सभी चीजों की नीलामी 2 दशक पुराने ऋण को चुकाने के लिए की गई थी।
लिंकन प्रेसिडेंशियल फाउंडेशन ने कैलिफोर्निया के एक संग्रहकर्ता से 68 करोड़ का उधार लिया था, जिसकी राशि लिंकन से जुड़ी वस्तुएं खरीदने के लिए इस्तेमाल हुई थी।
इस नीलामी के दौरान बेची गई चीजों के जरिए 64 करोड़ रुपये की राशि एकत्रित की गई। सभी वस्तुओं में से दस्ताने सबसे महंगे बिके थे, जिनकी कीमत 12.94 करोड़ रुपये लगाई गई थी।
वस्तु
नीलामी के दौरान बेची गई ये अन्य चीजें
नीलामी में एक और कीमती वस्तु बेची गई थी, जो हत्या के दिन लिंकन के पास थी। जिस रात उन्हें गोली मारी गई थी, उस समय उनकी जेब में 2 रुमाल मौजूद थे।
इनमें से एक की कीमत 7 करोड़ रुपये से भी ज्यादा लगी है। हत्या की साजिश के 3 संदिग्धों की तस्वीरों वाला एक 'वांटेड' पोस्टर भी 6.49 करोड़ रुपये में बिका था।
इसके साथ लिंकन की लिखावट का सबसे पहला नमूना 4.43 करोड़ रुपये में बिका था।
फाउंडेशन
फाउंडेशन ने क्यों लिया था इतना बड़ा ऋण?
फाउंडेशन ने 2007 में लुईस टेपर से नवोदित अब्राहम लिंकन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी और संग्रहालय के लिए 1,540 वस्तुओं का संग्रह खरीदा था।
यह 2005 में उस शहर में खोला गया, जहां लिंकन ने अपनी वकालत शुरू की थी और इलिनोइस विधानमंडल में सेवा करते हुए काम किया था।
2012 में इस फाउंडेशन को एक विवाद से जूझना पड़ा था, जिसके चलते ही उन्हें अब इस नीलामी का आयोजन करवाना पड़ा।