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राष्ट्रीय खेल दिवस 2024: भारतीय खेलों के इतिहास में सबसे गौरवशाली क्षणों पर एक नजर 
1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने जीता था खिताब (तस्वीर: एक्स/@ICC)

राष्ट्रीय खेल दिवस 2024: भारतीय खेलों के इतिहास में सबसे गौरवशाली क्षणों पर एक नजर 

Aug 22, 2024
07:25 pm

क्या है खबर?

पिछले कुछ ओलंपिक खेलों में भारत ने निरंतरता से पदक जीते हैं। भले ही पेरिस ओलंपिक 2024 में देश पदकों के मामले में दहाई का आंकड़ा छूने में असफल रहा हो, लेकिन भारत की खेलों में हो रही प्रगति को नकारा नहीं जा सकता। भारत में 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर खेलों में भारत के सबसे यादगार क्षणों के बारे में जानते हैं।

हॉकी

1928 ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने जीता स्वर्ण

भारतीय हॉकी टीम ने 1928 में पहली बार ओलंपिक खेलों में शिरकत की थी। जयपाल सिंह मुंडा की कप्तानी में भारत ने अजेय रहते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। उस संस्करण में मेजर ध्यान चंद ने सिर्फ 5 मैचों में सर्वाधिक 14 गोल किए थे। भारत ने स्वर्ण पदक के लिए खेले गए मुकाबले में मेजबान नीदरलैंड को हराया था। इसके बाद से भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में वर्चस्व दिखाया था।

क्रिकेट 

1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने जीता विश्व कप का खिताब 

साल 1983 के विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम ने अविश्वसनीय प्रदर्शन किया था। लॉर्ड्स में हुए फाइनल में भारत ने प्रबल दावेदार वेस्टइंडीज की टीम को शिकस्त दी थी। कपिल देव की कप्तानी में भारत ने विश्व क्रिकेट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। क्रिकेट के इतिहास में यह पहला ऐसा मौका था, जब वेस्टइंडीज के अलावा दूसरा कोई विजेता बना था। बता दें कि 1975 और 1979 के शुरुआती 2 संस्करणों में कैरेबियाई टीम ने खिताब जीते थे।

शतरंज 

2000 में विश्व चैंपियन बने थे विश्वनाथन आनंद

विश्वनाथन आनंद साल 1988 में भारत के ग्रैंडमास्टर बने थे। साल 2000 में उन्होंने भारत को विश्व शतरंज के मानचित्र पर ला दिया था। दरअसल, इस साल के आखिरी में आनंद पहली बार विश्व शतरंज चैंपियन बने थे। वह इस उपलब्धि को हासिल करने वाले पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर बने थे। मार्च 2011 में उन्होंने 2,800 से ज्यादा रेटिंग हासिल की थी और ऐसा करने वाले चौथे खिलाड़ी बने थे।

निशानेबाजी 

अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक में सोने पर साधा था निशाना

2008 में अभिनव बिंद्रा ने इतिहास रचते हुए ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। वह भारत की ओर से व्यक्तिगत खेलों में स्वर्ण पाने वाले पहले खिलाड़ी बने थे। बिंद्रा ने 10 मीटर पुरुष एयर राइफल स्पर्धा में कुल 700.5 अंक हासिल किए और एथेंस 2004 ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता झू किनान को पीछे छोड़ दिया। उनके बाद से ओलंपिक में कोई भारतीय निशानेबाज अब तक स्वर्ण नहीं जीत सका है।

भाला फेंक

नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में रचा था इतिहास

टोक्यो ओलंपिक के खत्म होने से एक दिन पहले भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन आया था। भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने भारत के इतिहास में सिर्फ दूसरा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर का भाला फेंकते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। चोपड़ा ने भारत को स्वतंत्रता (1947) के बाद एथलेटिक्स में पहला पदक दिलाया था। इसके बाद उन्होंने पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीता है।