विवाद पैदा कर चुके ICC के इन नियमों को बदला जाना चाहिए
शुरुआत से लेकर अब तक क्रिकेट काफी बेहतरीन खेल रहा है। इस खेल के कुछ अदभुत नियम इसे और बेहतर बनाने का काम करते हैं। हालांकि, इस खेल में कुछ ऐसे नियम भी हैं जो खेल के इतना बदल जाने के बावजूद अनदेखा किए जा रहे हैं। 2019 विश्वकप फाइनल का परिणाम आज भी क्रिकेट फैंस को याद है। एक नजर डालते हैं ICC के कुछ नियमों पर जिन्हें बदला जाना चाहिए।
DRS में हैं कुछ खामियां
डिसीजन रीव्यू सिस्टम (DRS) क्रिकेट में एक क्रांति साबित हुआ है, लेकिन इस नियम ने कई बार विवाद खड़ा करने का भी काम किया है। उदाहरण के लिए गेंद बल्लेबाज के पैड पर लगकर चार रन के लिए चली गई और अंपायर ने आउट का इशारा कर लिया, लेकिन बल्लेबाज ने रीव्यू ले लिया। DRS में नॉटआउट करार दिए जाने के बावजूद बल्लेबाज को वह बाउंड्री नहीं मिलेगी।
DRS नियम का उदाहरण
पगबाधा करार दिए जाने के समय यदि बल्लेबाज ने एक रन ले लिया तो DRS पर निर्णय बदलने के बाद वह रन नहीं माना जाएगा। गेंद को डेड माना जाता है और क्रिकेट पंडितों के मुताबिक इसमें बल्लेबाजी वाली टीम का घाटा है।
अतिरिक्त माना जाना चाहिए ओवरथ्रो
ओवरथ्रो शब्द ने 2019 विश्वकप फाइनल में इंग्लैंड को अतिरिक्त रन दिए जाने पर बड़ा विवाद खड़ा किया था। फील्डर द्वारा थ्रो फेंकने पर यदि गेंद सही ढंग से नहीं पकड़ी जाती है तो बल्लेबाजों के पास अतिरिक्त रन लेने का मौका होता है। इन रनों को फील्डिंग साइड की बजाय गेंदबाज के खाते में जोड़ा जाता है। ऐसे में यह नियम गेंदबाजों के हित में नहीं है क्योंकि ऐसे रनों को अतिरिक्त में ही जोड़ा जाना चाहिए।
कई बार गलत निर्णय का कारण बनता है सॉफ्ट सिग्नल का नियम
कई बार ऐसा होता है कि मैदानी अंपायर को तीसरे अंपायर का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन इसके पहले वह अपने हिसाब से कोई एक निर्णय लेता है जिसे सॉफ्ट सिग्नल कहते हैं। किसी मामले में यदि तीसरा अंपायर भी साक्ष्य पाने में असमर्थ रहता है तो फिर मैदानी अंपायर का सॉफ्ट सिग्नल अंतिम निर्णय होगा। ऐसे मामले में कई बार गलत निर्णय ले लिए जाते हैं क्योंकि कैमरा की बजाय नंगी आंखों पर भरोसा कर लिया जाता है।
टी-20 में मिलनी चाहिए एक ओवर में दो बाउंसर फेंकने की अनुमति
टी-20 क्रिकेट में तेज गेंदबाजों का दबदबा एकदम से नहीं रहा है और इस फॉर्मेट को ज़्यादातर तेज गेंदबाजों की कब्रगाह के रूप में देखते हैं। भले ही तेज गेंदबाजों के पास अब कई तरह की विविधता है, लेकिन बाउंसर की कमी साफ तौर पर महसूस की जाती है। वर्तमान समय में टी-20 में एक ओवर में केवल एक ही बाउंसर फेंका जा सकता है, लेकिन ICC को एक और बाउंसर फेंकने की अनुमति दे देनी चाहिए।