पैरालंपिक 2020: भारत भेजेगा अपना सबसे बड़ा दल, जानें इससे जुड़ी अहम बातें

टोक्यो में समर ओलंपिक का समापन हो चुका है और अब नई शुरुआत होने वाली है। 24 अगस्त से पैरालंपिक की शुरुआत होनी है। ओलंपिक के बाद पैरालंपिक में भी भारत अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद में है। इस बार भारत पैरालंपिक का अपना सबसे बड़ा दल भेज रहा है और वे कोशिश करेंगे कि 2016 रियो ओलंपिक में किए गए ऐतिहासिक प्रदर्शन को दोहराया जा सके। आइए जानते हैं भारतीय दल से जुड़ी अहम बातें।
इस बार के पैरालंपिक में भारत के 54 पैरा एथलीट्स नौ अलग-अलग खेलों में हिस्सा लेने के लिए जा रहे हैं। यह पैरालंपिक में भारत का सबसे बड़ा दल है। इससे पहले 2016 में उन्होंने 19 एथलीट्स का दल भेजा था। पिछली बार भारतीय एथलीट्स पांच खेलों में दिखाई पड़े थे। 2016 में पुरुषों की ऊंची कूद में स्वर्ण पदक जीतने वाले मरियप्पन थंगवेलू भारत के ध्वजवाहक होंगे।
गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एल वाई भी भारत के लिए पैरालंपिक में हिस्सा लेते नजर आएंगे। सुहास पैरा बैडमिंटन में खेलते नजर आएंगे। इसके लिए वह लंबे समय से अभ्यास भी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के 2007 कैडर के आईएएस अधिकारी सुहास पुरुषों की पैरा बैडमिंटन सिंगल्स में विश्व के दूसरे नंबर के खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2018 में हुए एशियन पैरा गेम्स में कांस्य पदक जीता था।
भारतीय पैरा एथलीट्स आर्चरी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, पैराकैनोइंग, पॉवरलिफ्टिंग, शूटिंग, स्विमिंग, टेबल टेनिस और ताइक्वांडो में हिस्सा लेते दिखेंगे। कुल 40 पुरुष और 14 महिला पैरा एथलीट्स टोक्यो जाएंगे। सबसे अधिक 24 लोग एथलेटिक्स में हिस्सा लेते नजर आएंगे। इसके बाद शूटिंग में 10 लोग हिस्सा लेंगे। ताइक्वांडो और पैरालिफ्टिंग में एक-एक एथलीट ही होंगे। इन दोनों खेलों में हिस्सा लेने वाली एथलीट महिलाएं होंगी। टेबल टेनिस में भी केवल दो महिला एथलीट्स होंगी।
2016 में भारत ने भले ही केवल 19 एथलीट्स भेजे थे, लेकिन यह भारत के इतिहास का सबसे सफल पैरालंपिक रहा था। भारत ने दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य सहित चार पदक जीते थे। देवेंद्र झाझरिया ने भाला फेंक में विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। दीपा मलिक ने महिलाओं की शॉट पुट में रजत और वरुण सिंह भाटी ने ऊंची कूंद में कांस्य जीता था।