#SportsHeroesOfIndia: युद्ध में लगी नौ गोलियां, फिर बने पैरालंपिक गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय
दृढ़ इच्छाशक्ति और किसी चीज को हासिल कर लेने की जिद हो तो इंसान क्या नहीं कर सकता है इसका बेहतरीन उदाहरण पेश करते हैं पैरालंपिक गोल्ड विजेता मुरलीकांत पेटकर। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में नौ गोलियां खाने और लगभग दो साल तक हॉस्पिटल में भर्ती रहने के बावजूद मुरलीकांत ने हौसला नहीं गंवाया। जानिए उस सफर को जिसमें भारतीय सेना के जवान ने दिव्यांग होने के बावजूद भारत को पहला पैरालंपिक गोल्ड मेडल दिलाया।
सेना में जवान थे, घायल होने की वजह से ओलंपिक नहीं जा सके
मुरलीकांत भारतीय सेना के जवान थे और इसके साथ ही वह भारत के प्रोफेशनल बॉक्सर थे। मुरलीकांत 1968 ओलंपिक की तैयारियों में जुटे थे। हालांकि, 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में मुरलीकांत ने सीमा पर भारत के लिए मोर्चा संभाला और इसी दौरान दुश्मन के हमले में उन्हें अपनै पैर गंवाने पड़े। 1968 ओलंपिक में भारत का मुक्केबाजी में प्रतिनिधित्व करने का सपना लिए मुरलीकांत को पैर गंवाने के बाद ओलंपिक मिस करना पड़ा।
पैर गंवाया, लेकिन हौसला नहीं
आमतौर पर किसी की एक अंगुली भी कट जाए तो वह काफी सदमें में आ जाता है और कई सारी चीजों को करने से बचने लगता है। लेकिन मुरलीकांत के मामले में इसका ठीक उलटा हुआ। उन्होंने पैर गंवाने के बाद भी अपना हौसला नहीं गंवाया। ओलंपिक में नहीं जा सके मुरलीकांत ने 1968 के पैरालंपिक में भाग लेकर अपने सपने को साकार किया।
दिव्यांग होने के बावजूद कई खेलों पर आजमाया हाथ
दिव्यांग होने के बावजूद मुरलीकांत का खेलों के प्रति रुझान कम नहीं हुआ और उन्होंने कई खेलों में हाथ आजमाया। 1968 पैरालंपिक में उन्होंने टेबल टेनिस में भाग लिया था और दूसरे राउंड तक भी पहुंचे थे, लेकिन मेडल नहीं जीत सके। इसके बाद उन्होंने स्वीमिंग में हिस्सा लेना शुरु किया और इंटरनेशनल स्वीमिंग में चार मेडल भी जीते। उन्होंने 50 मीटर फ्री-स्टाइल स्वीमिंग इवेंट में 37.33 सेकेंड के समय के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया।
पद्मश्री से नवाजे जा चुके हैं मुरलीकांत
देश के लिए जंग में दिव्यांग होने के बावजूद दृढ़ इच्छाशक्ति से भारत के लिए पहला पैरालंपिक गोल्ड जीतने वाले मुरलीकांत को भारत सरकार ने 2018 में 'पद्मश्री' से नवाजा था।
1972 में बने भारत के पहले पैरालंपिक गोल्ड मेडल विजेता
1972 में जर्मनी में हुए पैरालंपिक में मुरलीकांत, 50 फ्री-स्टाइल स्वीमिंग में भारत के लिए पहला पैरालंपिक गोल्ड जीतने वाले एथलीट बने। उसी पैरालंपिक में मुरलीकांत ने जैवलीन थ्रो और सलालोम में भी हिस्सा लिया था। खास बात यह है कि वह इन खेलों में भी फाइनलिस्ट रहे थे। 1970 में स्कॉटलैंड में हुए तीसरे कॉमनवेल्थ पैराप्लेजिक गेम्स में उन्होंने 50 फ्री-स्टाइल स्वीमिंग गोल्ड, जैवलीन थ्रो में सिल्वर और शॉट-पुट में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।