एशियाई खेल 2023: भारतीय फुटबॉल टीम की खराब शुरुआत, चीन ने 5-1 से हराया
एशियाई खेल के 19वें संस्करण में भारतीय फुटबॉल टीम की हार से शुरुआत हुई है। चीन की फुटबॉल टीम ने ग्रुप-A के मुकाबले में भारत को 5-1 से करारी शिकस्त दी है। चीन की ओर से गाओ, दाई वाईजू और हाओ फेंग ने 1-1 गोल किए। इनके अलावा ताओ ने 2 गोल दागे। भारत की ओर से इकलौता गोल राहुल केपी ने किया। आइए मैच पर एक नजर डालते हैं।
17वें मिनट में चीन ने बनाई बढ़त
मैच के छठे मिनट में दाएं छोर से चीन की ओर से जबरदस्त आक्रमण देखने को मिला। हालांकि, भारतीय गोलरक्षक गुरमीत सिंह ने अपनी मुस्तैदी से विपक्षी प्रयास को विफल कर दिया। मैच के 17वें मिनट में चीन को कॉर्नर मिला, जिस पर गाओ ने गोल करते हुए टीम को बढ़त दिला दी। चीनी खिलाड़ियों की गति के सामने भारत के युवा खिलाड़ी कमजोर नजर आए।
पेनल्टी पर भारतीय गोलकीपर गुरमीत सिंह ने किया शानदार बचाव
मैच के 23वें मिनट में भारतीय डिफेंडर आयुष क्षेत्री ने विपक्षी स्ट्राइकर को बैक पास दे दिया। उनकी बड़ी गलती के बाद चीनी स्ट्राइकर के पास गोल करने का आसान मौका था, जिसे भारतीय गोलकीपर गुरमीत ने नाकाम किया। हालांकि, गुरमीत की आक्रामक कोशिश के कारण विपक्षी टीम को पेनल्टी मिल गई। चीन के पास अपनी बढ़त को दुगुना करने का मौका था, जिस पर गुरमीत ने दाएं छोर पर डाइव लगाते हुए शानदार बचाव कर लिया।
राहुल के गोल से भारत ने हासिल की बराबरी
पहले हॉफ की समाप्ति से ठीक पहले अतिरिक्त समय में राहुल केपी ने विपक्षी गोलकीपर को छकाते हुए स्कोर कर दिया। उन्होंने अब्दुल रबीह के पास पर दाएं छोर से लम्बी दौड़ लगाते हुए गोल के नजदीक आकर जोरदार किक लगाई। उनके गोल की बदौलत भारत ने पहला हॉफ 1-1 से बराबरी पर समाप्त किया। पूरे हॉफ में चीनी खिलाड़ियों के दबदबे के चलते पिछड़ रही भारतीय टीम में राहुल के गोल ने ऊर्जा का संचार कर दिया।
चीन ने दूसरे हॉफ में किए 4 गोल
दूसरे हॉफ में चीन पूरी तरह से हावी नजर आया। दाई वाईजू ने 54वें मिनट में गोल करके टीम को फिर से बढ़त में ला दिया। इसके बाद ताओ ने 75वें मिनट में गोल किया। दूसरे हॉफ में भारतीय रक्षापंक्ति ने लगातार गलतियां की जिसके परिणामस्वरूप चीन को गोल करने के कई मौके मिले। इसके बाद ताओ ने अपना दूसरा गोल लगाया। मैच खत्म होने से कुछ समय पहले हाओ फेंग ने गोल कर दिया।
न्यूजबाइट्स प्लस
सुनील छेत्री एशियाई खेलों के 2 संस्करणों में देश का नेतृत्व करने वाले भारतीय फुटबॉल टीम के केवल तीसरे कप्तान बने। उनसे पहले केवल सेलेन मन्ना (1951 और 1954) और बाईचुंग भूटिया (2002 और 2006) ही अतीत में ऐसा कर चुके हैं।