जोमाटो वेबसाइट या ऐप में खोजें बग, पाएं तीन लाख रुपये तक के इनाम
फूड डिलिवरी सर्विस जोमाटो की ऐप या वेबसाइट में बग का पता लगाने पर अब आप लाखों रुपये इनाम में जीत सकते हैं। जोमाटो ने गुरुवार को बताया कि कंपनी ने अपने बग बाउंटी प्रोग्राम में मिलने वाले इनाम की रकम बढ़ा दी है। कंपनी का कहना है कि अब इसकी वेबसाइट या मोबाइल ऐप्लिकेशंस में किसी बग या खामी का पता लगाने वाले को 4,000 डॉलर (करीब 2.99 लाख रुपये) तक के इनाम दिए जाएंगे।
जोमाटो ने हैकर्स से मांगी बग रिपोर्ट्स
जोमाटो ने बग बाउंटी प्रोग्राम से जुड़ा रिवॉर्ड बढ़ाने की घोषणा की है। फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म ने कहा, "जोमाटो बग बाउंटी प्रोग्राम हमारी सिक्योरिटी से जुड़ी कोशिशों का हिस्सा है और हमें उम्मीद है कि अब किए बदलाव के साथ हम हैकर्स कम्युनिटी को प्रेरित करेंगे।" कंपनी ने हैकर्स को बग्स का पता लगाने के लिए धन्यवाद दिया और कहा, "हमारे प्रोग्राम का हिस्सा बनने के लिए आपका धन्यवाद और हम आगे भी आपकी रिपोर्ट्स का इंतजार करते रहेंगे।"
ट्विटर पर दी जानकारी
हैकर्स को ऐसे दिए जाते हैं रिवॉर्ड्स
जोमाटो के बग बाउंटी प्रोग्राम में अलग-अलग सिक्योरिटी लेवल्स से जुड़े बग्स के लिए अलग-अलग रिवॉर्ड्स तय किए गए हैं। प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन इनेबल करना जरूरी शर्त है। कंपनी ने बताया है कि इसका कॉमन वल्नरेबिलिटी स्कोरिंग सिस्टम (CVSS) तय करता है कि कोई खामी या बग कितना गंभीर है। CVSS स्कोर के आधार पर हैकर्स को मिलने वाले रिवॉर्ड की रकम तय की जाती है।
खतरनाक बग्स के लिए ज्यादा रिवॉर्ड
कंपनी ने बताया, "उदाहरण के लिए, CVSS 10.0 स्कोर वाली गंभीर खामी के बदले 4,000 डॉलर का अवॉर्ड और CVSS 9.5 स्कोर वाली खामी के लिए 3,000 डॉलर का अवॉर्ड दिया जाएगा।" जोमाटो ने बेहद अनोखे और खोजने में मुश्किल खतरनाक बग्स का पता लगाने वालों को ज्यादा रिवॉर्ड देने का वादा किया है। वहीं, सामान्य और कम खतरनाक बग्स का पता लगाने वालों को कम रकम इनाम में मिलेगी क्योंकि इनसे प्लेटफॉर्म को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकेगा।
हैकर्स को इनाम क्यों देती हैं कंपनियां?
कई बड़ी कंपनियां उनमें मौजूद खामियों और कमियों का पता लगाने वालों के लिए 'बग बाउंटी प्रोग्राम' चलाती हैं। वे अपने प्रोडक्ट में खामियां ढूंढने वाले लोगों को इनाम देती हैं ताकि उन खामियों को दूर कर प्रोडक्ट को बेहतर किया जा सके। दरअसल, एथिकल हैकर्स मौजूदा सेवाओं में खामी का पता लगाकर उनकी जानकारी कंपनी को देते हैं, जिससे उन्हें फिक्स किया जा सके। इस तरह हैकर्स कंपनियों की सुरक्षित रहने में मदद करते हैं।