
नासा के कौन-कौन से बड़े मिशन अब तक हुए हैं असफल?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष एजेंसी नासा दुनिया की सबसे समृद्ध एजेंसियों में से एक है।
यह अब तक चंद्रमा, मंगल ग्रह और सौरमंडल से जुड़ी कई कामयाब उड़ानें पूरी कर चुकी है, लेकिन इस सफलता की राह में कई कठिन मोड़ भी आए।
नासा को अपनी अंतरिक्ष यात्रा में कुछ ऐसे पल भी देखने पड़े, जब उसके बड़े मिशन असफल रहे।
ये असफलताएं न केवल तकनीकी, बल्कि मानवीय नुकसान के रूप में भी सामने आईं।
अपोलो 1
अपोलो 1 से शुरू हुआ असफलताओं का पहला बड़ा झटका
1967 में अपोलो 1 मिशन में कैप्सूल में आग लगने से 3 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हुई थी।
यह हादसा एक ग्राउंड टेस्ट के दौरान हुआ था और इसमें गस ग्रिसम, एड व्हाइट और रोजर चाफी की जान चली गई थी।
नासा के लिए यह एक गहरा झटका था, जिससे उसने सुरक्षा मानकों को दोबारा परिभाषित किया। यह मिशन चंद्रमा तक मानव पहुंचाने की तैयारी का हिस्सा था और इसमें पहली बार मौत की वास्तविकता सामने आई।
चैलेंजर और कोलंबिया
चैलेंजर और कोलंबिया दुर्घटनाएं बनीं सबसे दर्दनाक हादसे
1986 में चैलेंजर स्पेस शटल लॉन्च के 73 सेकंड बाद ही फट गया, जिसमें 7 अंतरिक्ष यात्रियों की जान गई थी।
इसी तरह, 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल पृथ्वी पर लौटते वक्त विखर गया, जिसमें भारत की कल्पना चावला समेत 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हुई थी।
ये दोनों हादसों में तकनीकी लापरवाही और मौसम संबंधी अनदेखी प्रमुख कारण रहे। इन दोनों दुर्घटनाओं ने न केवल नासा, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया।
अन्य
मंगल मिशन में तकनीकी चूक से हुई भारी क्षति
1999 में नासा के 2 बड़े मंगल मिशन (मार्स क्लाइमेट ऑर्बिटर और मार्स पोलर लैंडर) पूरी तरह विफल रहे।
ऑर्बिटर का कारण मात्र इकाई की गड़बड़ी था, जहां एक टीम ने पाउंड और दूसरी ने न्यूटन में डाटा प्रयोग किया। वहीं, पोलर लैंडर से संपर्क लैंडिंग से पहले ही टूट गया था।
इन मिशनों की असफलता ने साबित किया कि छोटी तकनीकी गलतियां भी करोड़ों डॉलर के प्रोजेक्ट को तबाह कर सकती हैं।