क्या है प्रोबा-3 मिशन, ISRO जिसे 4 दिसंबर को करेगा लॉन्च?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 4 दिसंबर को अपने पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) की मदद से प्रोबेबिलिटी मिशन को लॉन्च करने वाला है। इस मिशन को PSLV-C59/प्रोबा-03 नाम दिया गया है। भारतीय समयानुसार मिशन को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 4 दिसंबर को शाम 04:08 बजे लॉन्च किया जाएगा। अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्च व्यू गैलरी से लॉन्च देखने के लिए आज (28 नवंबर) रात 08:00 बजे से रजिस्ट्रेशन शुरू होगा।
क्या है प्रोबा-3 मिशन?
प्रोबा-3 मिशन ISRO का एक अत्याधुनिक मिशन है, जिसे सूर्य के बाहरी वातावरण, यानी सूर्य के कोरोना, का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है। प्रोबा-3 सूर्य के कोरोना का 3D अध्ययन करने वाला पहला मिशन है, जो सूर्य के बाहरी वातावरण और उसकी गतिविधियों को समझने में मदद करेगा। मिशन में 2 सैटेलाइट होंगे, जो एक दूसरे के साथ सिंक्रोनाइज होकर सूर्य के आसपास अपनी कक्षा में काम करेंगे।
कैसे होगा इस मिशन में काम?
प्रोबा-3 मिशन में 2 सैटेलाइट 150 मीटर की दूरी पर समानांतर उड़ान भरेंगे और सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेंगे। एक सैटेलाइट में कोरोनाग्राफ होगा और दूसरे में ऑकल्टर, जो सूर्य की चमक को छिपाएगा। ये सैटेलाइट हर दिन 6 घंटे साथ उड़ेंगे, फिर अलग होकर दुबारा जुड़ेंगे। लेजर की मदद से ये अपनी स्थिति बनाए रखेंगे और टकराव से बचेंगे। अलग-अलग उपकरणों का उपयोग फीके सौर संकेतों का बेहतर अध्ययन करने में मदद करेगा।
इस मिशन का उद्देश्य क्या है?
प्रोबा-3 मिशन का उद्देश्य सूर्य के कोरोना की संरचना, तापमान, और उसकी गतिविदियों का विश्लेषण करना। इसकी मदद से सूर्य की सतह पर होने वाले सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के कारण अंतरिक्ष मौसम पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा। इसके साथ ही इसका उद्देश्य सूर्य से निकलने वाली सौर हवा की गति, तापमान, और घनत्व का विश्लेषण करना भी है। इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूर्य के अध्ययन में प्रमुख स्थान मिल सकता है।
इस मिशन से लाभ क्या होगा?
प्रोबा-3 मिशन सफल होने पर सूर्य के सक्रिय क्षेत्रों का अध्ययन करने से अंतरिक्ष मौसम के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी, जो सैटेलाइट, अंतरिक्ष यानों और पृथ्वी पर संचार प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है। इससे सूर्य के विस्फोटों और उसके प्रभाव को समझने से पृथ्वी पर होने वाली प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूचाल, विद्युत आपूर्ति में गड़बड़ी और सैटेलाइट पर प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस मिशन की सफलता ISRO के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।