
क्या है 6G तकनीक और इसमें अमेरिका और यूरोप से कैसे आगे है चीन?
क्या है खबर?
चीन समेत दुनिया के कई देश अगली पीढ़ी की नेटवर्क तकनीक '6G' पर तेजी से काम कर रहे हैं।
5G कनेक्टिविटी ने तेज इंटरनेट और स्मार्ट डिवाइस कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया, वहीं 6G इससे भी कई गुना अधिक क्षमता, गति और उन्नत सुविधाएं लाएगा।
यह तकनीक भौतिक और डिजिटल दुनिया के बीच की सीमाओं को लगभग मिटा देगी। तकनीकी विशेषज्ञ मानते हैं कि 6G भविष्य में हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करेगा।
तकनीक
6G क्या है और यह 5G से कैसे अलग है?
6G अगली पीढ़ी की वायरलेस संचार तकनीक है, जो 5G की तुलना में तेज डाटा स्पीड, कम विलंबता और बेहतर नेटवर्क क्षमता प्रदान करेगी।
5G ने ऑटोमेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को सक्षम बनाया, अब 6G डिजिटल और भौतिक दुनिया को और करीब लाएगा।
इसमें होलोग्राफिक संचार, डिजिटल ट्विन और स्मार्ट शहरों जैसी तकनीकों का व्यापक उपयोग संभव होगा। 6G तकनीक का लक्ष्य अधिक ऊर्जा-कुशल और विश्वसनीय नेटवर्क बनाना है।
बढत
6G में चीन की बढ़त
चीन 6G तकनीक के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने 2024 में 6G के लिए 3 प्रमुख तकनीकी मानक निर्धारित किए, जिसमें चीन का योगदान अहम रहा। चीन के पास दुनिया में सबसे अधिक 5G बेस स्टेशन हैं, जिससे वह 6G पर भी तेजी से काम कर रहा है।
इसके विपरीत, यूरोप और अमेरिका की टेलीकॉम कंपनियां 5G तैनाती में पिछड़ने के कारण 6G को लेकर कम सक्रिय दिख रही हैं।
उपयोग
6G के संभावित उपयोग
6G तकनीक कई नए क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
यह अधिक तेज और विश्वसनीय कनेक्टिविटी के साथ बिजली ग्रिड, टेलीमेडिसिन, स्मार्ट शहरों और स्वायत्त वाहनों को बेहतर बनाएगी। डिजिटल ट्विन तकनीक का उपयोग फैक्ट्रियों, स्वास्थ्य सेवाओं और शहरों के लिए किया जाएगा।
होलोग्राफिक संचार, ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR) को मुख्यधारा में लाने में 6G तकनीक मदद करेगा, जिससे इंसानों और मशीनों के बीच बातचीत और बेहतर होगी।
अंतर
वैश्विक 6G विकास में अंतर
6G के विकास को लेकर अलग-अलग देशों का नजरिया भिन्न है।
चीन, जापान और दक्षिण कोरिया इस तकनीक पर तेजी से काम कर रहें, जबकि फ्रांस, जर्मनी और इटली इसे लेकर ज्यादा सतर्क हैं। अमेरिका और यूरोप 6G को लेकर अभी अध्ययन कर रहे हैं और मानकों पर सहमति बनाने की प्रक्रिया में हैं।
ITU और अन्य वैश्विक संस्थाएं 6G के लिए साझा मानक तैयार करने पर काम कर रही हैं, ताकि इसका सुचारू वैश्विक विकास सुनिश्चित किया जा सके।
प्रतिस्पर्धा
6G का भविष्य और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
ITU और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों का लक्ष्य 2030 तक 6G मानकों को अंतिम रूप देना है, जिससे इस दशक के अंत तक इसका व्यावसायिक उपयोग शुरू हो सके। स्वीडिश कंपनी एरिक्सन के अनुसार, 6G के परीक्षण 2028 तक शुरू हो सकते हैं।
हालांकि, चीन की तेज प्रगति से यह संभावना बढ़ रही है कि वह इस तकनीक में अमेरिका और यूरोप से आगे निकल सकता है, जिससे वैश्विक टेलीकॉम प्रतिस्पर्धा और तेज हो जाएगी।