इंसानी दिमाग में न्यूरालिंक चिप लगा पाएंगे एलन मस्क? टेस्ट के दौरान 15 बंदरों की मौत
अमेरिकी बिजनेसमैन और इनोवेटर एलन मस्क का दावा है कि उनके न्यूरालिंक चिप की मदद से इंसान अपने दिमाग में सोचने भर से डिवाइसेज को कमांड दे सकेगा। न्यूरालिंक एलन मस्क की कई कंपनियों में से एक है और खास चिप पर काम कर रही है, जिसे इंसानी दिमाग में इंप्लांट के जरिए लगाया जाएगा। इस चिप को इंसानों से पहले बंदरों में लगाकर टेस्ट किया जा रहा है और अब तक सामने आए नतीजे बहुत अच्छे नहीं हैं।
टेस्टिंग के दौरान हुई 15 बंदरों की मौत
बिजनेस इनसाइडर और न्यू यॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2017 से 2020 के बीच न्यूरालिंक चिप की टेस्टिंग के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस में 23 बंदरों को लाया गया था। दावा है कि न्यूरालिंक चिप इंप्लांट के बाद टेस्टिंग के दौरान इनमें से कम से कम 15 बंदरों की मौत हो चुकी है। यह जानकारी पशुओं के अधिकार से जुड़े ग्रुप फिजीशियंस कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन (PCRM) की ओर से शेयर की गई है।
फिजीशियंस कमेटी ने देखे पब्लिक रिकॉर्ड्स
फिजीशियंस कमेटी ने 700 पेज से ज्यादा के डॉक्यूमेंट्स, वेटरेनरी रिकॉर्ड और नेक्रॉप्सी रिपोर्ट्स यूनिवर्सिटी में मौजूद पब्लिक रिकॉर्ड्स के जरिए देखीं। PCRM के रिसर्च एडवोकेसी डायरेक्टर जेरेमी बेकहम ने कहा, "जितने भी बंदरों के सिर में इंप्लांट किया गया था, उनमें से लगभग हर बंदर की सेहत पर जानलेवा असर देखने को मिले।" उन्होंने कहा, "साफ कहें तो वे (न्यूरालिंक रिसर्चर्स) जानवरों को अपंग बना रहे हैं और उनकी जान ले रहे हैं।"
अलग-अलग वजहों से हुई बंदरों की मौत
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि न्यूरालिंक चिप्स को बंदरों की खोपड़ी में ड्रिल करते हुए लगाया गया था। एक बंदर को इसके चलते त्वचा से जुड़ा संक्रमण हो गया और मौत का इंजेक्शन देना पड़ा। वहीं, जान गंवाने वाले दूसरे बंदर की उंगलियां और पंजे गायब थे, जो किसी वजह से खुद को नुकसान पहुंचा रहा था और असामान्य था। इसी तरह एक बंदर को सर्जरी के बाद उल्टियां होने लगीं और ब्रेन हैमरेज से उसकी जान चली गई।
PCRM ने न्यूरालिंक के खिलाफ शिकायत दर्ज की
PCRM ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस और एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक के खिलाफ अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर में शिकायत दर्ज की है। आरोप है कि इनकी ओर से एनिमल वेलफेयर ऐक्ट से जुड़े नौ नियमों का उल्लंघन किया गया है। शिकायत के मुताबिक, "ढेरों बंदरों को उन प्रयोगों के दौरान असंवेदनशीलता के साथ किए गए इंप्लांट्स और गलत देखभाल के चलते तकलीफ से गुजरना पड़ा, जिन्हें न्यूरालिंक और एलन मस्क 'ब्रेन-मशीन इंटरफेस' के लिए जरूरी बता रहे हैं।"
इस साल इंसानों पर ट्रायल्स शुरू होंगे
नई रिपोर्ट्स की मानें तो न्यूरालिंक इस साल इंसानों पर ट्रायल्स शुरू करने जा रही है और ऐसा करने के लिए एक क्लीनिकल ट्रायल डायरेक्टर की तलाश में है। इस डायरेक्टर का काम डॉक्टरों और इंजीनियर्स के साथ मिलकर इनोवेशन करना होगा और वह न्यूरालिंक के पहले क्लीनिकल ट्रायल पार्टिसिपेंट्स के साथ भी काम करेगा। हालांकि, बंदरों के साथ ट्रायल्स से जुड़ी खबरें एलन मस्क और न्यूरालिंक दोनों की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं।
न्यूरालिंक चिप क्यों तैयार कर रहे हैं मस्क?
मस्क ने पिछले साल एक इंटरव्यू में बताया कि न्यूरालिंक प्रोडक्ट की मदद से 'पैरालिसिस का शिकार हुआ कोई व्यक्ति अपनी उंगलियों की मदद से फोन इस्तेमाल कर रहे किसी व्यक्ति के मुकाबले अपने दिमाग की मदद से ज्यादा तेजी से स्मार्टफोन इस्तेमाल कर सकेगा।' इस टेक्नोलॉजी के अगले वर्जन में ब्रेन सिग्नल्स की मदद से दूसरे डिवाइसेज को कंट्रोल करने जैसे काम किए जा सकेंगे, जिसका फायदा गंभीर बीमारियों से जुड़े लोगों को मिलेगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
साल 2016 में न्यूरालिंक की स्थापना उनके लिए की गई थी, जो दिमाग और रीढ़ से जुड़ी चोट का शिकार हुए हैं। डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य के इलाज के तौर पर शुरू हुई रिसर्च अब दिमाग को इंटरनेट से जोड़ने का दावा कर रही है।