चंद्रमा के मानक समय का पता लगाएगी नासा, बनाएगी LTC प्रणाली
अमेरिका चाहता है कि अंतरिक्ष एजेंसी नासा यह पता लगाए कि चंद्रमा पर समय कैसे बताया जा सकता है। इसके लिए अमेरिका के ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी (OSTP) के प्रमुख ने मंगलवार को एक ज्ञापन भेजकर नासा से अन्य अमेरिकी एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ चंद्रमा के लिए एक समय प्रणाली स्थापित करने को कहा है। नासा के पास 2026 के अंत तक कोऑर्डिनेटेड लूनर टाइम (LTC) नामक प्रणाली स्थापित करने का समय है।
मिशन में LTC होगा काफी उपयोगी
LTC चंद्र अंतरिक्ष यान और सैटेलाइट्स के लिए समय-पालन का एक बेंचमार्क प्रदान करेगा, जिन्हें अपने मिशन के लिए अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता होती है। बता दें कि यह पृथ्वी पर मौजूद समय क्षेत्रों जैसा नहीं है, क्योंकि चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण कम है, इसलिए वहां समय पृथ्वी की तुलना में प्रतिदिन 58.7 माइक्रोसेकंड तेजी से चलता है। LTC विकसित करने के लिए चंद्रमा पर परमाणु घड़ियों को रखने की आवश्यकता हो सकती है।
36 देशों में होगा समझौता
LTC को लागू करने के लिए मौजूदा मानक निकायों और उन 36 देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय समझौतों की आवश्यकता होगी, जिन्होंने अंतरिक्ष और चंद्रमा पर देशों के कार्य करने के तरीके से संबंधित आर्टेमिस समझौते नामक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। बता दें, अंतरिक्ष में अमेरिका के 2 मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन और रूस ने आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पृथ्वी की निचली कक्षा में होने के कारण, यूनिवर्सल कोऑर्डिनेटेड टाइम का उपयोग करना जारी रखेगा।