वैज्ञानिक ने किया बड़ा दावा, नासा के लैंडर ने मंगल ग्रह पर खत्म कर दिया जीवन
एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक का मानना है कि 1975 में नासा के वाइकिंग मिशन ने मंगल ग्रह पर जीवन को गलती से नष्ट कर दिया। वाइकिंग 1 और 2 लैंडर्स ने मंगल की मिट्टी में पानी डाला था, जिससे वहां के सूक्ष्म जीव मर सकते थे। खगोल जीवविज्ञानी डिर्क शुल्ज-मकुच के अनुसार, मंगल की सतह पर मौजूद लवण सूक्ष्म जीवन को पानी उपलब्ध कराते थे और पानी डालने से ये जीव संवेदनशील हो गए, जिससे संभवतः जीवन समाप्त हो गया।
क्या था वाइकिंग मिशन का उद्देश्य?
वाइकिंग मिशन का उद्देश्य मंगल पर पानी डालकर देखना था कि क्या वहां जीवन संभव है। लैंडर्स ने मंगल की मिट्टी में सूक्ष्मजीवों का पता लगाया, लेकिन परिणाम स्पष्ट नहीं था। शुल्जे-मकुच ने उदाहरण देकर कहा कि यदि कोई एलियन पृथ्वी पर आए और उसे कोई इंसान रेगिस्तान में मिले और वे उसे समुद्र में फेंक दे तो वह नहीं बचेगा। इसी तरह, मंगल पर जीवन के लिए पानी की वहां के वातावरण के हिसाब से जरुरत होगी।
गलत जगह तलाश रहे हैं हम जीवन
शुल्ज-मकुच का कहना है कि मंगल पर जीवन सतह पर मौजूद लवणों से पानी प्राप्त कर सकता है। नमक में पानी लंबे समय तक रहता है, जिससे सूक्ष्मजीवी जीवन के लिए पानी उपलब्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन रासायनिक और भौतिक प्रभावों का लाभ उठाने में माहिर है। उन्होंने यह सिद्धांत पेश किया था कि हम मंगल पर जीवन की तलाश गलत जगह पर कर रहे हैं और इस विचार को उनके साथियों ने भी स्वीकार किया।
जीवन की खोज के लिए अलग तरीके से सोचना होगा
शुल्ज-मकुच का मानना है कि वाइकिंग मिशन के दौरान किया गया काम सही था और अब हमारे पास बेहतर उपकरण और समझ है। उन्होंने कहा कि वे नहीं कह सकते कि मंगल पर जीवन उनके सिद्धांत के अनुसार काम करेगा, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि एक दिन सही उत्तर मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें गलती करने में कोई आपत्ति नहीं है और जीवन की खोज के लिए हमें नए और अलग तरीके से सोचना होगा।