क्या है GSAT-N2 सैटेलाइट, जिसे ISRO और स्पेस-X मिलकर करेंगे लॉन्च?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द ही GSAT-N2 सैटेलाइट को स्पेस-X के फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए लॉन्च करेगा। यह पहली बार है जब भारत अपने किसी सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए स्पेस-X की मदद ले रहा है। सैटेलाइट का वजन भारतीय रॉकेटों की क्षमता से अधिक होने के कारण इसे फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से अमेरिका के केप कैनावेरल से लॉन्च किया जाएगा। यह कदम ISRO और स्पेस-X के बीच बढ़ते अंतरिक्ष सहयोग को दर्शाता है।
कितना भारी है सैटेलाइट?
GSAT-N2 सैटेलाइट का वजन लगभग 4,700 किलोग्राम है, जो भारत के मौजूदा रॉकेटों की क्षमता से बाहर है। स्पेस-X के साथ यह साझेदारी ISRO की वाणिज्यिक शाखा की दूसरी सैटेलाइट परियोजना है, जिसमें 500 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। स्पेस-X के फाल्कन 9 रॉकेट का पुनः उपयोग भारत के अंतरिक्ष मिशनों के लिए अधिक अवसर खोलता है, क्योंकि यह सस्ता और तेज है। इस लॉन्च से भारत के संचार क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होगी।
क्या काम करेगी GSAT-N2 सैटेलाइट?
GSAT-N2 या GSAT-20 एक संचार सैटेलाइट है, जो भारत के दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवाओं को पहुंचाने में मदद करेगा। इसका उद्देश्य इंटरनेट की पहुंच उन स्थानों तक बढ़ाना है, जहां अब तक डिजिटल कनेक्टिविटी सीमित थी। यह यात्री विमानों में भी इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराएगा, जिससे उड़ान के दौरान भारतीय क्षेत्र में इंटरनेट उपयोग पर प्रतिबंध की समस्या हल होगी। सैटेलाइट की डिजाइन से इंटरनेट कनेक्शन विभिन्न इलाकों में बेहतर हो सकेगा।
कठिन इलाकों में इंटरनेट सेवाएं हो सकेंगी शुरू
GSAT-N2 सैटेलाइट में 32 बीम हैं, जिनमें से कुछ बीम छोटे क्षेत्रों और कुछ बड़े क्षेत्रों को कवर करते हैं। यह नई तकनीक इंटरनेट कनेक्शन को बेहतर बनाएगी। सैटेलाइट भारत के दूरदराज और कठिन इलाकों में इंटरनेट सेवाएं पहुंचाने में मदद करेगा। इसके जरिए ब्रॉडबैंड सेवाओं में बड़ा सुधार होगा, जिससे देश के डिजिटल विकास में तेजी आएगी और इससे कनेक्टिविटी की समस्याओं को हल किया जाएगा, जो भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।