ISRO ने बनाया चांद के सबसे दूर वाले हिस्से तक पहुंचने का प्लान, जापान करेगा मदद
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) अपने लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEX) मिशन के जरिए चंद्रमा के अंधेरे वाले या हमेशा छाया में रहने वाले हिस्सों का पता लगाने की योजना बना रहा है। ISRO ने आगामी चंद्र अभियान के लिए जापान के साथ हाथ मिलाया है। ISRO अपने एक और चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को भी लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इसे जून में लॉन्च किया जा सकता है।
चीन ने चांग-4 के जरिए रचा इतिहास
चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से या या काफी दूर स्थित दूसरे हिस्से की बात करें तो यह चांद पर पृथ्वी से दूसरी तरफ है। इस मामले में चीन ने अपने चांग-4 मिशन के जरिए 2019 में इतिहास रच दिया। ये मिशन चंद्रमा के सबसे दूर के हिस्से में पहुंचा था। अब आगामी लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन के साथ ISRO चंद्रमा के कम जानकारी या कहें कि दूर वाले हिस्से की जानकारी पाना चाहता है।
ISRO और JAXA मिलकर बनाएंगे उपकरण
LUPEX मिशन का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में पानी की उपस्थिति की पुष्टि करना होगा। मिशन के तहत अंतरिक्ष यान ISRO और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) दोनों के कई वैज्ञानिक उपकरणों को लेकर जाएगा। यान में एक रोवर और लैंडर शामिल होंगे। लैंडर सिस्टम ISRO द्वारा विकसित किया जाएगा और रोवर JAXA द्वारा बनाया जाएगा। LUPEX मिशन को एक जापानी रॉकेट के ऊपर लॉन्च किया जाएगा। इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की योजना है।
ISRO वैज्ञानिकों से मिलने भारत आई थी JAXA की टीम
LUPEX मिशन को लॉन्च होने में कुछ साल लगेंगे। हाल ही में इस मिशन पर चर्चा करने के लिए ISRO के वैज्ञानिकों से मिलने के लिए JAXA की एक टीम भारत आई थी। JAXA ने ट्विटर पर बताया कि यह 2019 के बाद से LUPEX वर्किंग ग्रुप की पहली आमने-सामने की बैठक थी। बैठक में लैंडिंग साइट को लेकर बात की गई जिससे, यह पता लगे कि चंद्रमा पर कौन-सी साइट बेहतर होगी।
बैठक में इन मुद्दों पर हुई बात
बैठक में रोवर, एंटेना के साथ चंद्रमा पर लैंडर और रोवर कहां हैं, इसका अनुमान लगाने के तरीकों पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। LUPEX मिशन के संबंध में अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 में ISRO ने कहा कि भारत-जापान अंतरिक्ष सहयोग वर्तमान में लूनर एक्सप्लोरेशन, सैटेलाइट नेविगेशन और पृथ्वी के अवलोकन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ISRO और JAXA लैंडर और रोवर में लगाए जाने वाले उपकरणों को अंतिम रूप दे रहे हैं।