चंद्रयान-3 की सफलता से ISRO और देश को क्या-क्या फायदे होंगे?
भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 आज इतिहास रचने की ओर है। अगर ये मिशन सफल रहा तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के खाते में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज होगी। ये सफलता न केवल ISRO की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाएगी, बल्कि अतंरिक्ष में पर्यटन और निजी कंपनियों की भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं के लिहाज से भी भारत के लिए खास होगी। आइए समझते हैं कि चंद्रयान-3 की सफलता से किन बड़े लक्ष्यों को साधने की कोशिश हो रही है।
चांद पर इंसानी बसावट के लिए जुटाएगा जानकारी
चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। माना जाता है कि इस ध्रुव पर बर्फ है, जो भविष्य में चंद्रमा पर इंसानी बसावट में सहायक साबित हो सकती है। चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम अपने साथ 'प्रज्ञान' नामक रोवर ले गया है, जो सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करेगा। 'प्रज्ञान' लेजर के जरिए सतह के एक टुकड़े को पिघलाकर उत्सर्जित गैसों का विश्लेषण करेगा। इससे प्राप्त हुए डेटा का इस्तेमाल चांद पर मानव निवास के लिए जरूरी होगा।
ISRO की बढ़ेगी कमाई
ISRO अपने किफायती अंतरिक्ष मिशनों के लिए जाना जाता है। चंद्रयान-3 मिशन में 700 करोड़ रुपये से भी कम लागत आई है, जो 'RRR', 'बार्बी' और 'अवतार' जैसी फिल्मों के बजट से भी कम है। इसकी सफलता से कई निजी संस्थाएं और देश ISRO के पास उपग्रहों की किफायती प्रक्षेपण करने में अधिक रुचि दिखाएंगे। 2014 के बाद से अब तक ISRO 389 विदेशी उपग्रहों को लॉन्च कर 3,330 करोड़ रुपये की कमाई कर चुका है।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में बढ़ेगी निजी भागीदारी
सरकार अतंरिक्ष के क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष नीति को मंजूरी दी गई है। इसी कड़ी में भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA) का गठन भी किया गया है। इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ सालों पहले तक भारत में अंतरिक्ष के क्षेत्र से जुड़े गिने-चुने स्टार्टअप ही काम कर रहे थे, जिनकी संख्या अब 140 पर पहुंच गई है। चंद्रयान की सफलता से इस क्षेत्र में निजी भागीदारी को और बढ़ावा मिलेगा।
अंतरिक्ष में बढ़ेगा भारत का दबदबा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत ने आर्टेमिस समझौते से जुड़ने का ऐलान किया था। चंद्रयान की सफलता से इस समझौते में शामिल 25 देशों के बीच भारत का दबदबा बढ़ेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ ISRO की भागीदारी और मजबूत होगी। हाल ही में रूस का लूना-25 चांद की सतह से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। अगर चंद्रयान सफल रहा तो इसे भारत की रूस पर बढ़त के तौर पर भी देखा जाएगा।