स्मार्टफोन में कितने तरह की स्क्रीन आती हैं और क्या होती है इनकी खासियत?
स्मार्टफोन कंपनियां फोन की खासियत बताते समय उसकी डिस्प्ले की विशेषता भी बताती हैं। फोन के स्पेसिफिकेशन को पढ़ते समय आपने देखा होगा कि कंपनियां बताती हैं कि उन्होंने अपने स्मार्टफोन में एमोलेड, सुपर एमोलेड या रेटिना डिस्प्ले दी है। इन सभी डिस्प्ले की अपनी कमियां और खासियत होती हैं। फोन की डिस्प्ले इसलिए भी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि डिस्प्ले की क्वालिटी का प्रभाव आंख से भी जुड़ा है। अच्छी डिस्प्ले का आंख पर दुष्प्रभाव भी कम होता है।
LCD, एमोलेड से फोल्डेबल स्क्रीन तक पहुंची कंपनियां
अब तो स्मार्टफोन निर्माता सैमसंग, ओप्पो, मोटोरोला जैसी कंपनियां फ्लेक्सिबल स्क्रीन का भी इस्तेमाल कर रही हैं। इसकी मदद से कंपनियां फोल्डेबल स्मार्टफोन बना रही हैं। ऐपल और गूगल जैसी कंपनियां भी फोल्डेबल डिस्प्ले पर काम कर रही हैं। अच्छी क्वालिटी की डिस्प्ले से फोन में देखने का अनुभव भी बढ़ जाता है। तो चलिए जान लेते हैं कि स्मार्टफोन में कितने तरह की डिस्प्ले आती है और इनमें क्या कमियां और क्या अच्छा होता है।
LCD डिस्प्ले
लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (LCDs) आसानी से और सस्ते दाम में उपलब्ध हो जाती है। इस वजह से इसे बजट रेंज वाले स्मार्टफोन और कई अन्य डिवाइसों में इस्तेमाल किया जाता है। कई कंपनियां फोन के अन्य फीचर्स को बढ़ाने के साथ ही उसका दाम कम रखने के लिए भी LCD डिस्प्ले का इस्तेमाल करते हैं। LCD डिस्प्ले भी दो तरह की होती हैं। इनमें एक TFT (थिन फिल्म ट्रांजिस्टर) और दूसरी IPS (इन-प्लेस स्विचिंग) डिस्प्ले होती हैं।
OLED और एमोलेड डिस्प्ले
OLED डिस्प्ले का पूरा नाम ऑर्गेनिक लाइट इमिटिंग डायोड है। ये डिस्प्ले पतली इलेक्ट्रोल्यूमिनिसेंट शीट से बनी होती हैं। इस डिस्प्ले के लिए बैकलाइट की जरूरत नहीं होती है। ये खुद अपना प्रकाश उत्पन्न करती हैं। इसलिए ये पावर भी बहुत कम लेती हैं। एक्टिव मैट्रिक्स ऑर्गेनिक लाइट-एमिटिंग डायोड (AMOLED) डिस्प्ले काफी हद तक OLED ही है। इसमें इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नोलॉजी को थिन-फिल्म डिस्प्ले कहा गया है।
सुपर एमोलेड
सुपर एमोलेड डिस्प्ले में IPS LCD की तरह ही होती है। इसमें टच रिस्पॉन्स की लेयर को अलग से जोड़ने की जगह पैनल के भीतर ही इंटीग्रेट किया जाता है। सुपर एमोलेड डिस्प्ले काफी ब्राइट होती है और पावर भी कम लेती है। इस वजह से सुपर एमोलेड डिस्प्ले वाले स्मार्टफोन को सूर्य के प्रकाश में भी इस्तेमाल करने पर ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। अन्य डिस्प्ले वाले फोन को सूरज की रोशनी में इस्तेमाल करने पर दिक्कत होती है।
रेटिना डिस्प्ले
ऐपल अपने आईफोन में इस्तेमाल होने वाली IPS LCD और OLED डिस्प्ले को ही 'रेटिना डिस्प्ले' कहती है। सामान्य IPS LCD और OLED डिस्प्ले की तुलना में ऐपल के डिस्प्ले में पिक्सल डेंसिटी ज्यादा होती है। इससे डिस्प्ले की क्वालिटी काफी बढ़ जाती है।
POLED डिस्प्ले
POLED डिस्प्ले को प्लास्टिक लाइट एमिटिंग डायोड कहते हैं। इसमें ग्लास की बजाय फ्लेक्सिबल प्लास्टिक तत्व का इस्तेमाल किया जाता है। OLED में ग्लास और POLED में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। इसलिए ये अधिक टिकाऊ भी होती है। OLED की तुलना में इसकी लागत कम होती है। इसकी मोटाई भी कम होती है, जो इसे स्लिम बनाता है। फ्लेक्सिबिलिटी के चलते ये अधिक शॉकप्रूफ होता है, लेकिन इस डिस्प्ले पर स्क्रैच का डर ज्यादा रहता है।
फोल्डेबल डिस्प्ले
फोल्डेबल डिस्प्ले में इल्युमिनेटिंग लेयर नहीं होती है। इस वजह से ये लचीली होती हैं। इन्हें पूरी तरह से फोल्ड किया जा सकता है। LG, लेनोवो जैसी कंपनियों ने फोल्ड से आगे बढ़ते हुए रोल होने वाली टीवी और लैपटॉप भी पेश किया है।