कोरोना वायरस के खात्मे के लिए कंपनियां इस्तेमाल कर रहीं UV किरणों वाले रोबोट
दुनियाभर के वैज्ञानिक एक करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुके कोरोना वायरस (COVID-19) का इलाज ढूंढने में लगे हैं। शुरुआत के महज सात महीनों में ही इस महामारी ने दुनिया को घुटनों पर ला दिया है। अब हर कोई वैक्सीन या दवा का इंतजार कर रहा है। लंबे होते इस इंतजार के बीच अमेजन समेत कई कंपनियां अपने संसाधनों का प्रयोग करते हुए COVID-19 फैलाने वाले Sars-CoV-2 वायरस खत्म करने में लगी हैं।
अमेजन ने बनाया रोबोट
दरअसल, अमेजन ने एक रोबोट तैयार किया है, जो अल्ट्रा वायलेट (UV) किरणों का इस्तेमाल करते हुए कोरोना वायरस का खात्मा कर देता है। सामान ले जाने वाली ट्रॉली की तरह दिखने वाली इसे रोबोट में पहिए लगे हुए हैं। इसमें 10 ऐसी ट्यूबलाइट लगी हैं, जिनसे अल्ट्रा वायलट किरणें निकलती हैं जो गलियारों या ज्यादा छुई जाने वाली सतहों से वायरस का खात्मा करती हैं। अमेजन ने बताया कि रोबोट का समूह रोजाना कई घंटो तक सफाई करता है।
एक और टेक कंपनी ने भी तैयार किया रोबोट
अमेजन के अलावा भी दूसरी कंपनियां कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए रोबोट की मदद ले रही है। अमेरिका की एक टेक कंपनी ने बड़ी जगहों को कीटाणुमुक्त करने के लिए एक रोबोट बनाया था। कंपनी का दावा है कि यह मशीन दो मिनट में कोरोना वायरस का खात्मा कर सकती है। हालांकि, कंपनी ने इसे बिक्री के लिए बाजार में नहीं उतारा है, लेकिन यह दूसरी कंपनियों को किराये पर दे रही है।
क्या UV किरणों से कोरोना वायरस का खात्मा हो सकता है?
अभी तक की खबर पढ़कर आपके मन में आ रहा होगा कि क्या अल्टा वायलेट किरणों से कोरोना वायरस का खात्मा हो सकता है? आपको बता दें कि इन किरणों को कई सालों से कीटनाशक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन इन्हें सीधे तौर पर इंसानों पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कहा है कि लोग अपने हाथ या खुद को कीटाणुमुक्त करने के लिए इन किरणों का इस्तेमाल न करें।
शरीर पर क्या असर डालती हैं UV किरणें?
सूरज की रोशनी से UVA, UVB और UVC, तीन तरह की अल्ट्रा वायलेट किरणें निकलती हैं। इनमें से UVA धरती पर सबसे ज्यादा मात्रा में पहुंचती है। यह इतनी शक्तिशाली होती है कि हमारी त्वचा में छेदकर यह शरीर में घुस जाती है। यह एक बड़ी वजह है, जिससे त्वचा बूढ़ी होती है और उसमें झुर्रियां आती हैं। वहीं UVB कम मात्रा में धरती पर पहुंचती है। इनकी वजह से सन बर्न होता है।
खतरनाक होती है UVC
सूरज की रोशनी में UVC भी होती है, लेकिन ओजोन परत इसे सोख लेती है, इसलिए यह रोशनी का बहुत छोटा हिस्सा होती है। यह बाकी दोनों से ज्यादा शक्तिशाली होती है और इंसानों और वायरसों की जिंदा कोशिकाओं के DNA और RNA को नष्ट कर सकती है। हालांकि, कोरोना पर इसके प्रभाव का ज्यादा अध्ययन नहीं हुआ है, लेकिन इसके परिवार के अन्य वायरस SARS पर यह काफी प्रभावशाली साबित हुई थी।
दुनियाभर में बढ़ता जा रहा है कोरोना का प्रकोप
एक तरफ जहां कोरोना वायरस के इलाज का इंतजार लंबा होता जा रहा है, वहीं इसका प्रकोप भी लगातार बढ़ रहा है। बीते दिन दुनियाभर में 2.12 लाख से अधिक नए मरीज मिले। महामारी शुरू होने के बाद एक दिन में सामने आने वाले मामलों की यह सबसे बड़ी संख्या है। अगर कुल मामलों की बात करें तो दुनियाभर में लगभग 1.13 करोड़ लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ चुके हैं।
पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, कोरोना वायरस के कारण दुनिया के अलग-अलग देशों में 5.30 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। वहीं इससे ठीक होने वाले लोगों की संख्या 60 लाख से ज्यादा है। ब्राजील में सर्वाधिक 9.9 लाख लोग ठीक हुए हैं।