सीताराम येचुरी: 5 दशकों तक वामपंथी राजनीति की धुरी रहे, चुनौतियों में बुलंद किया 'लाल झंडा'
क्या है खबर?
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के महासचिव सीताराम येचुरी का निधन हो गया है।
वे सीने में संक्रमण के चलते बीते कई दिनों से दिल्ली AIIMS में भर्ती थे। बाद में उनकी सांस की नली में भी संक्रमण हो गया था, जिसके बाद उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी।
दशकों तक वामपंथी राजनीति की धुरी रहे येचुरी का जाना वामपंथ के साथ ही राजनीतिक जगह के लिए भी बड़ा नुकसान है।
आइए आज येचुरी के बारे में जानते हैं।
सीताराम येचुरी
कौन थे सीताराम येचुरी?
येचुरी का जन्म 12 अगस्त, 1952 को चेन्नई के एक तेलुगु परिवार में हुआ था।
उनके माता-पिता आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के रहने वाले थे। उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे और मां कल्पकम येचुरी सरकारी अधिकारी थीं।
येचुरी ने दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से स्नातकोत्तर और सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की थी।
राजनीतिक सफर
येचुरी का राजनीतिक सफर
येचुरी ने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़कर की थी। अगले ही साल वे CPM में शामिल हो गए।
1975 के आपातकाल के दौरान वे JNU के छात्र थे और जेल भी गए थे। वे 3 बार JNU छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए।
1984 में वे CPI-M की केंद्रीय समिति में शामिल किए गए। येचुरी 2005 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए चुने गए। 2015 में वे CPI-M के महासचिव बने थे।
इस्तीफा
जब येचुरी ने इंदिरा गांधी को इस्तीफा देने पर मजबूर किया
येचुरी ने आपातकाल का विरोध करने के लिए संयुक्त स्टूडेंट्स फेडरेशन का गठन किया और इंदिरा गांधी के घर तक विरोध मार्च निकाला।
तब इंदिरा JNU की कुलाधिपति थीं। इंदिरा ने जब विरोध का कारण पूछा तो येचुरी ज्ञापन पढ़ने लगे।
उन्होंने कहा कि एक तानाशाह को JNU के कुलाधिपति पद पर नहीं रहना चाहिए। येचुरी के आंदोलन का नतीजा हुआ कि इंदिरा ने कुलाधिपति पद से इस्तीफा दे दिया।
इस प्रकरण से येचुरी को खूब प्रसिद्धी मिली।
चुनौतियां
चुनौतियों भरा रहा राजनीतिक सफर
येचुरी का राजनीतिक सफर इतना आसान भी नहीं रहा।
उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनावी असफलताओं और आंतरिक संघर्षों का सामना किया। उनके कार्यकाल में त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल से CPI-M का पत्ता साफ हो गया।
कई प्रयोगों के बावजूद केरल को छोड़कर CPI-M को बाकी जगह सफलता नहीं मिली।
हालांकि, चुनौतियों के बावजूद वे पार्टी के सिद्धांतों और लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहे। संसद में उनके भाषणों को गहराई और स्पष्टता के लिए खूब सराहना मिली।
परिवार
येचुरी के परिवार में कौन-कौन हैं?
येचुरी की पहली शादी वीना मजूमदार की बेटी इंद्राणी मजूमदार से हुई थी। इस शादी से उनकी एक बेटी और एक बेटा है।
बेटे आशीष का 2021 में केवल 34 साल की उम्र में कोरोने के चलते निधन हो गया था।
फिलहाल वे अपने पीछे पत्नी सीमा चिश्ती येचुरी और बेटी अखिला येचुरी को छोड़ गए हैं। सीमा चिश्ती पेशे से पत्रकार हैं और बेटी अखिला विदेशों की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में अध्यापन का काम करती हैं।