नोटबंदी के कारण देश में उच्च स्तर पर पहुंची बेरोजगारी- मनमोहन सिंह
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को केंद्र की मोदी सरकार पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने देश में तेजी से बढ़ती बेरोजगारी के लिए मोदी सरकार के फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि साल 2016 में मोदी सरकार द्वारा 'बीमार सोच की नोटबंदी' के फैसले के कारण देश मेें बेरोजगारी उच्च स्तर पर पहुंच गई है और असंगठित क्षेत्र पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। सरकार फैसलों पर चर्चा नहीं करती है।
कब हुई थी नोटबंदी?
बता दें कि 8 नवंबर, 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के संबोधन करते हुए 500 एवं 1,000 रुपये के करेंसी नोट को प्रचलन से बाहर करते हुए उनके वैध मुद्रा नहीं होने की घोषणा की थी। हालांकि, उस दौरान लोगों को पुराने नोट बदलवाने के लिए समय दिया गया था। इससे बैंकों के बाहर लोगों की कतारें लग गई थी। इसी तरह नए नोट की निकासी के लिए भी लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी थी।
मनमोहन सिंह ने सरकार पर लगाया बिना सोचे समझे फैसले लेने का आरोप
केरल में कांग्रेस से जुड़े थिंक टैंक राजीव गांधी डिवेलपमेंट स्टडीज के एक आभासी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, "देश में बेरोजगारी उच्च स्तर पर पहुंच गई और असंगठित क्षेत्र पूरी तरह से तबाह हो गया है। देश में यह हालात मोदी सरकार द्वारा साल 2016 में बिना सोचे समझे लिए गए नोटबंदी के फैसले से पैदा हुआ है।" उन्होंने राज्यों के साथ नियमित परामर्श नहीं करने को लेकर भी केंद्र सरकार की आलोचना की।
क्रेडिट समस्या को छिपाया नहीं जा सकता- सिंह
"प्रतीक्षा 2030" नाम से आयोजित सम्मलेन में पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा अस्थायी उपायों से क्रेडिट समस्या को छिपाया नहीं जा सकता है। यह संकट ऋण की कमी के साथ छोटे और मीडियम सेक्टर को खासा प्रभावित कर सकता है। उन्होंने आगे कहा कि देश की बिगड़ती स्थिति से निपटने के लिए सरकार को आपसी सहयोग से आगे बढ़ना होगा और लोगों को राहत पहुंचानी होगी।
राज्यों के साथ नियमित परामर्श को महत्व नहीं देती सरकार- सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि भारत की आर्थिक और राजनीतिक आधारशिला और संविधान में निहित दर्शन के तहत सरकारों को संघवाद और राज्यों के साथ नियमित परामर्श करना चाहिए, लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार इसे अहमियत नहीं देती है। उन्होंने केरल के विकास को लेकर कहा कि राज्य में सामाजिक मापदंड ऊंचे हैं, लेकिन भविष्य में दूसरे क्षेत्रों में ध्यान देने की जरूरत है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य केरल के विकास के लिए विजन डॉक्यमेंट लॉन्च करना है।
केरल को कई रुकावटों से पार पाना होगा- सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि केरल में वर्तमान में कई रुकावटें हैं, लेकिन राज्य को इनसे पार पाना होगा। कोरोना महामारी ने केरल के वैश्विक इंटरफेस को और अधिक नाजुक बना दिया है। उन्होंने कहा कि डिजिटल मोड की वजह से IT सेक्टर तो काम कर रहा है, लेकिन पर्यटन क्षेत्र पर महामारी का बहुत बुरा असर पड़ा है। शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस से केरल के लोग दुनिया के सभी हिस्सों में नौकरी पाने में सक्षम हुए हैं।
स्पष्ट समझ के साथ नियोजित विकास है UDF- सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि वह सभी निराशाओं के बीच UDF के दृढ़ विश्वास का पालन करते हैं। यह न केवल केरल के लिए बल्कि पूरे देश के लिए आशा की किरण के समान दिशा और चिंता की स्पष्ट समझ के साथ नियोजित विकास है। उन्होंने कहा 1991 में वित्त मंत्री के रूप में राष्ट्रीय बजट पेश करने के दौरान उन्होंने विक्टर ह्यूगो का बयान पढ़ा था। उन्होंने कहा कि एक बेहतर विचार से शक्तिशाली और कुछ नहीं है।