तमिलनाडु में राष्ट्रगान को लेकर क्यों भिड़ गए मुख्यमंत्री और राज्यपाल? जानें पूरा विवाद
क्या है खबर?
तमिलनाडु में एक बार फिर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और राज्यपाल आरएन रवि के बीच विवाद की खबरें हैं।
इस बार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान राष्ट्रगान को लेकर दोनों के बीच तनातनी चल रही है। इसके बाद राज्यपाल विधानसभा में अपना अभिभाषण दिए बिना ही चले गए, जिसे मुख्यमंत्री स्टालिन ने बचकाना बताया था।
अब राज्यपाल ने भी मुख्यमंत्री को जवाब दिया है।
आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।
शुरुआत
कैसे हुई शुरुआत?
6 जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा का सत्र शुरू हुआ था। सत्र के पहले ही दिन राज्यपाल अपना अभिभाषण दिए बिना उठकर चले गए थे।
दरअसल, सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राज्य गान और आखिरी में राष्ट्रगान गाया जाता है। लेकिन राज्यपाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान दोनों समय गाया जाना चाहिए।
इसके बाद राजभवन ने एक बयान में कहा कि संविधान और राष्ट्रगान के अपमान से नाराज होकर राज्यपाल सदन से चले गए।
स्टालिन का बयान
स्टालिन बोले- राज्यपाल की हरकत बचकाना
राज्यपाल के फैसले पर स्टालिन ने कहा, "राज्यपाल इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि राज्य विकास कर रहा है। उनके राज्यपाल बनने के बाद कुछ सालों से विधानसभा में अजीब दृश्य देखने को मिल रहे हैं। वे विधानसभा में आते हैं, लेकिन अभिभाषण दिए बिना चले जाते हैं। 2022 में उन्होंने अभिभाषण दिया, लेकिन उसके बाद से वे बेतुके कारणों से अभिभाषण देने से बच रहे हैं। इसलिए मैंने कहा था कि उनकी हरकतें बचकानी हैं।"
राज्यपाल
स्टालिन के बयान पर राज्यपाल ने क्या कहा?
राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "मुख्यमंत्री का ऐसा अहंकार ठीक नहीं है। लोग देश और संविधान का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। स्टालिन के लिए राष्ट्रगान के प्रति उचित सम्मान और संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों का पालन करना 'बेतुका' और 'बचकाना' है। स्टालिन ऐसे नेता हैं जो भारत को एक राष्ट्र नहीं मानते और उसके संविधान का सम्मान नहीं करते हैं। लेकिन ऐसा अहंकार ठीक नहीं है।"
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा मामला
राज्यपाल को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि राज्यपाल ने अपने दायित्वों का पालन नहीं करते हुए लगातार संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल के कामकाज के तरीके से सरकार और प्रशासन के बीच असहमति और तनाव पैदा हो रहा है।
याचिका लगाने वाले वकील सीआर जया सुकिन ने कहा, "राज्यपाल ने राष्ट्रगान बजाने कहा था। ऐसा आदेश देना उनका कर्तव्य नहीं है।"
विवाद
राज्यपाल-मुख्यमंत्री के बीच पहले भी हो चुके हैं विवाद
इससे पहले तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने वीरभारती की जल्दी रिहाई की मंजूरी दी, जिस पर राज्यपाल ने रोक लगा दी थी। विवाद के मद्रास हाई कोर्ट पहुंचने पर कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले मानने के लिए बाध्य हैं।
नवंबर, 2023 में भी विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सरकार ने आरोप लगाए थे कि राज्यपाल जानबूझकर विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को फटकारा था।