प्रकाश सिंह बादल: सबसे युवा मुख्यमंत्री से सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री तक के सफर पर एक नजर
पंजाब के पूर्व मुख्यममंत्री प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को 95 साल की उम्र में निधन हो गया। वह स्वास्थ्य समस्याओं के चलते मोहाली के एक अस्पताल में भर्ती थे और उन्होंने रात 7:42 बजे अंतिम सांस ली। केंद्र सरकार ने बादल के निधन पर 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। प्रधानमंत्री मोदी भी उन्हें श्रद्धांजलि देने आज चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं। आइए उनके व्यक्तित्व और राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं।
बादल का जन्म और शिक्षा
बादल का जन्म 8 दिसंबर, 1927 को पंजाब में मालवा के पास स्थित गांव अबुल-खुराना में हुआ था। उनकी माता का नाम सुंदरी कौर और पिता का नाम रघुराज सिंह था। उनकी प्राथमिक शिक्षा लांबी के एक स्कूल से हुई थी, जबकि फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह राजनीति में आ गए। 1959 में उन्होंने सुरिंदर कौर से शादी की। उनके दो बच्चे, सुखबीर सिंह बादल और परनीत कौर, हैं।
20 साल की उम्र में जीता था सरपंच का चुनाव
बादल ने महज 20 साल की उम्र में 1947 में सरपंच का चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा। ये वो दौर था, जब भारत गुलामी की बेड़ियों से आजाद हुआ था। बादल 1957 में पहली बार पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और इसके बाद 1969 में उन्हें एक बार फिर विधानसभा के लिए चुना गया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो पंजाब की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा बन गए।
बादल 5 पांच बार बने पंजाब के मुख्यमंत्री
बादल को पंजाब की राजनीति का सिरमौर ऐसे ही नहीं कहा जाता। उनके नाम 5 बार राज्य का मुख्यमंत्री बनने के साथ-साथ 10 बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने का रिकॉर्ड दर्ज है। बादल ने पहली बार 1970 में राज्य के 15वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। 1977-80 और 1997-2002 में भी वो पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे। इसके अलावा 1 मार्च, 2007 से 2017 के बीच भी उन्होंने दो बार और राज्य की कमान संभाली थी।
बादल के नाम ये भी रिकॉर्ड हैं दर्ज
बादल 1996 से 2008 तक शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष भी रहे। 1970 में 43 साल की उम्र में जब वे पंजाब के मुख्यमंत्री बने, तब वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले भारत के सबसे युवा नेता थे। 2017 में मुख्यमंत्री का उनका पांचवां कार्यकाल जब पूरा हुआ, तब वे 90 साल के थे। इस तरह वे भारत के किसी भी राज्य के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री बने। अभी भी यह रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है।
बादल ने 1969 से लेकर 2017 नहीं हारा कोई चुनाव
बादल साल 1977 में केंद्र की मोरारजी देसाई की सरकार में करीब ढाई महीने तक कृषि और किसान कल्याण मंत्री भी रहे थे। 1969 से लेकर 2017 तक उन्होंने कोई भी विधानसभा चुनाव नहीं हारा। हालांकि, 2017 में अकाली दल की हार के बाद बादल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, तब उनकी उम्र 90 साल थी। साल 2022 में वह अंतिम पंजाब विधानसभा चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
प्रधानमंत्री चंड़ीगढ़ पहुंचकर देंगे श्रद्धांजलि
पंजाब सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री बादल के निधन पर एक दिवसीय राजकीय अवकाश की घोषणा की है। बादल का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए चंडीगढ़ स्थित SAD के कार्यालय में रखा गया है। आज दोपहर 12 बजे करीब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चंड़ीगढ़ पहुंचकर बादल को श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद चंडीगढ़ से बठिंडा के लिए बादल की शव यात्रा निकाली जाएगी, जबकि कल पूर्व मुख्यमंत्री के पैतृक गांव में दोपहर 1 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।