जेल में बंद खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह ने नई पार्टी की घोषणा की
क्या है खबर?
असम की जेल में बंद खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह ने अपनी राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर दी है।
पंजाब के मुक्तसर में माघी मेले के दौरान पार्टी के नाम 'अकाली दल वारिस पंजाब दे' का ऐलान किया गया।
खडूर साहिब सीट से निर्दलीय सांसद सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है।
सिंह के जेल में रहने तक पार्टी के संचालन के लिए 7 सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस दौरान कई प्रस्ताव भी पारित किए गए हैं।
गिरफ्तार
मार्च 2024 में हुए थे गिरफ्तार
खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले के समर्थक अमृतपाल ने 2022 में 'वारिस पंजाब दे' का गठन किया था।
फरवरी, 2023 को अमृतपाल ने अपने सहयोगी को छुड़ाने के लिए अजनाला पुलिस थाने में हथियार लेकर हमला किया था।
महीनों के बाद पुलिस ने मोगा से अमृतपाल को गिरफ्तार किया। खुफिया एजेंसियां को शक है कि अमृतपाल के पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) से संबंध है।
अमृतपाल समेत उसके 9 साथी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत असम जेल में हैं।
चुनाव
शिरोमणि अकाली दल के लिए बड़ी चुनौती बनेगी पार्टी
अकाली दल वारिस पंजाब दे एक पंथक पार्टी होगी, जिससे शिरोमणि अकाली दल को बड़ी चुनौती मिल सकती है क्योंकि पंजाब में अकाली दल भी पंथक पार्टी है।
बेअदबी के मामले में राम रहीम को राहत देने पर अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को सजा का पालन करना पड़ा था। बेअदबी मामले के बाद पंजाब में अकाली दल की पकड़ ढीली हुई है।
ऐसे में अमृतपाल की पार्टी लोगों को आकर्षित कर सकती है।
पार्टी
लोकसभा चुनाव में दर्ज की थी जीत
लोकसभा चुनाव 2024 में अमृतपाल ने खडूर साहिब से कांग्रेस उम्मीदवार कुलदीप सिंह जीरा को 2.07 लाख वोटों से हराया था। अमृतपाल को 4 लाख से अधिक वोट मिले थे।
इस सीट पर आम आदमी पार्टी के ललजीत सिंह भुल्लर को 1.94 लाख वोट मिले थे। अमृतपाल के अलावा फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा भी लोकसभा चुनाव जीते थे।
खालसा भी अमृतपाल की पार्टी में आ गए हैं। पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह हैं।
जानकारी
चुनाव आयोग को भेजे गए थे 3 नाम
चुनाव आयोग को अमृतपाल सिंह की ओर से 3 नाम भेजे गए थे, जिनमें अकाली दल आनंदपुर साहिब भी शामिल था, लेकिन आयोग ने अकाली दल वारिस पंजाब दे पर मुहर लगाई। अमृतपाल सिंह ने पहले 'वारिस पंजाब दे' नाम की जत्थेबंदी बनाई थी।