आंध्र प्रदेश: पूर्व मुख्यमंत्री किरण रेड्डी भाजपा में शामिल, पिछले महीने दिया था कांग्रेस से इस्तीफा
दक्षिण भारत की राजनीति में कांग्रेस को लगातार दूसरे दिन बड़ा झटका लगा है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने आज भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। पिछले महीने ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था। इससे पहले कल ही कांग्रेस नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी भाजपा में शामिल हुए थे।
रेड्डी ने कांग्रेस आलाकमान पर साधा निशाना
भाजपा में शामिल होने के बाद रेड्डी ने कहा, "कांग्रेस आलाकमान के गलत फैसलों की वजह से राज्य दर राज्य पार्टी टूट रही है। यह एक राज्य की बात नहीं है। एक पुरानी कहानी है कि मेरा राजा बहुत बुद्धिमान है, वह अपने आप नहीं सोचता और न ही किसी का सुझाव मानता है। आप सबको पता चल गया होगा कि मैं क्या कहना चाहता हूं।" इस दौरान रेड्डी के परिवार के कुछ सदस्य भी मौजूद थे।
जोशी बोले- रेड्डी प्रधानमंत्री मोदी से प्रभावित
रेड्डी के भाजपा में शामिल होने के बाद प्रह्लाद जोशी ने कहा, "किरण कुमार रेड्डी के परिवार के कई सदस्य कांग्रेस में थे। कुछ समय पहले जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने मुझे बताया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित हैं। आज वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई को और मजबूत करेंगे। विधायक और मंत्री के रूप में उनकी छवि बहुत साफ रही है।"
रेड्डी पहले भी छोड़ चुके हैं कांग्रेस
रेड्डी ने 2014 में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के आंध्र प्रदेश को विभाजित कर तेलंगाना को अलग करने के विरोध में कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। बाद में उन्होंने 'जय समैक्य आंध्र' नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई थी और कुछ प्रत्याशियों को मैदान में भी उतारा था। हालांकि, वे 2018 में फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 12 मार्च, 2023 को उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक लाइन का इस्तीफा भेजा था।
रेड्डी का राजनीतिक सफर
रेड्डी पहली बार 1989 में कांग्रेस की टिकट पर वायसपाडु सीट जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इस सीट से वे 1999 और 2004 में भी जीते। 2009 में उन्होंने पिलेरू सीट से जीत दर्ज की और इसी साल विधानसभा स्पीकर भी चुने गए। 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की विमान दुर्घटना में मौत होने के बाद उन्होंने 2010 में राज्य की जिम्मेदारी संभाली। साल 2014 में आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।