टीपू सुल्तान को किसने मारा? कर्नाटक में चुनाव से पहले मचा घमासान, जानिए क्या है मामला
कर्नाटक में जल्द विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसके चलते राजनीतिक पार्टियां यहां नए चुनावी मुद्दों को हवा देने में जुटी हैं। यहां चुनाव से पहले टीपू सुल्तान की मौत को लेकर सियासत गरम है, जिसे लेकर भाजपा ने बड़ा दावा किया है। हालांकि, कांग्रेस ने भाजपा के इस दावे को नकारते हुए कहा कि भाजपा अपना नया इतिहास रच रही है। आइए टीपू सुल्तान की मौत लेकर कर्नाटक में चल रहे इस पूरे राजनीतिक घमासान को समझते हैं।
कौन थे टीपू सुल्तान?
टीपू सुल्तान का 20 नवंबर, 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली में जन्म हुआ था। उनके पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य के एक सैनिक थे, लेकिन 1761 में वह मैसूर के शासक बने। टीपू सुल्तान ने महज 18 साल की उम्र में अंग्रेजों से पहला युद्ध जीता था और उनके पिता ने उन्हें शेर-ए-मैसूर के खिताब से नवाजा था। 4 मई, 1799 में अंग्रेजों के साथ हुई एक लड़ाई में उनकी मौत हो गई थी।
टीपू सुल्तान की मौत को लेकर भाजपा का क्या है दावा?
17वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान की मौत को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा ने बड़ा दावा किया है। उसका कहना है कि टीपू सुल्तान की हत्या अंग्रजों ने नहीं, बल्कि वोक्कालिगा समुदाय से संबंध रखने वाले दो सरदारों, उरी गौड़ा और नानजे गौड़ा, ने की थी। कर्नाटक के बागवानी मंत्री मुनिरत्ना इस मामले में एक फिल्म बनाने की घोषणा चुके हैं और भाजपा अपने दावे पर कायम रहते हुए कर्नाटक चुनाव मे इसे मुद्दा बनाने में जुटी है।
भाजपा इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है- कांग्रेस
कांग्रेस का कहना है कि भाजपा के दावे का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है और टीपू सुल्तान की मौत के समय उरी गौड़ा और नानजे गौड़ा का कोई अस्तित्व ही नहीं था। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि भाजपा इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश कर रही है। दरअसल, पुराने मैसूर में एक वर्ग का मानता है कि टीपू सुल्तान की हत्या वोक्कालिगा सरदारों ने की थी। भाजपा नेताओं ने इसी दावे का समर्थन किया है।
टीपू सुल्तान को लेकर भाजपा के दावे में कितनी सच्चाई?
वोक्कालिगा समुदाय के प्रमुख संत और श्री आदिचुंचनगिरी महासंस्थान मठ के निर्मलानंदनाथ महास्वामीजी का मानना है कि भाजपा के इस दावे का इतिहास में कोई साक्ष्य नहीं मिलता है। महास्वामीजी ने भाजपा के मंत्री मुनिरत्ना से इस मुद्दे पर फिल्म बनाने के प्रोजेक्ट को आगे न बढ़ाने को कहा है। उन्होंने दोनों ही प्रमुख पार्टियों से इस मुद्दे को समाप्त करने की अपील की है। इतिहासकारों ने भी टीपू सुल्तान की हत्या के नए दावे को गलत बताया है।