कर्मचारियों और कारोबार को नुकसान के डर से बजरंग दल के खिलाफ नरम रही फेसबुक- रिपोर्ट
क्या है खबर?
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक पर एक बार फिर से दक्षिणपंथी संगठनों के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगा है।
रविवार को अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अपने कर्मचारियों पर हमले और कारोबार को नुकसान की आशंका के चलते फेसबुक ने बजरंग दल के भड़काऊ पोस्ट्स और वीडियोज पर कोई कार्रवाई नहीं की।
फेसबुक ने इन आरोपों से इनकार किया है।
रिपोर्ट
रिपोर्ट में दिया गया बजरंग दल के भड़काऊ वीडियो का हवाला
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में जून, 2020 में पोस्ट किए गए बजरंग दल के एक भड़काऊ वीडियो का हवाला दिया है। 2.5 लाख से अधिक व्यूज वाले इस वीडियो में बजरंग दल ने दिल्ली के बाहर एक चर्च पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी।
रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले फेसबुक की सिक्योरिटी टीम ने भी बजरंग दल को अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का समर्थन करने वाला एक खतरनाक संगठन बताया था और इसे बैन करने की सिफारिश की थी।
दावा
हमले और कारोबार को नुकसान की आशंका के चलते फेसबुक ने नहीं की कार्रवाई
हालांकि सिक्योरिटी टीम की इस सिफारिश और इस भड़काऊ वीडियो के बावजूद भी फेसबुक ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि सिक्योरिटी टीम की एक रिपोर्ट में उसे चेतावनी मिली थी कि बजरंग दल पर कार्रवाई भारत में उसके कारोबार और कर्मचारियों को खतरे में डाल सकती है।
इस चेतावनी में बजरंग दल पर कार्रवाई से हिंदू राष्ट्रवादी नेताओं के क्रोधित होने और फेसबुक के कर्मचारियों और इमारतों पर हमले की आशंका भी जताई गई थी।
सवाल औऱ प्रतिक्रिया
कर्मचारियों के एक समूह ने जताई थी बजरंग दल की मौजूदगी पर चिंता
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि फेसबुक कर्मचारियों के एक समूह ने अपने प्लेटफॉर्म पर बजरंग दल की मौजूदगी पर चिंता जताते हुए इससे भारत में भड़काऊ बयानबाजी को नियंत्रित करने की कंपनी की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े होने की बात कही थी।
दूसरी तरफ इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए फेसबुक के प्रवक्ता एंटी स्टोन ने कहा, "हम अपनी खतरनाक व्यक्ति और संगठन नीति को दुनियाभर में राजनीतिक हैसियत और पार्टी देखे बिना लागू करते हैं।"
अन्य मामला
अगस्त में भी फेसबुक पर लगा था भाजपा नेताओं के साथ पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप
इससे पहले अगस्त में भी द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि फेसबुक अपने कारोबारी हितों को नुकसान की आशंका के चलते भाजपा नेताओं पर कार्रवाई से पीछे हटती है।
इसमें कहा गया था कि फेसबुक अधिकारी अंखी दास ने मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट करने वाले भाजपा नेता टी राजा सिंह को बैन से बचाया था।
रिपोर्ट में इसे हिंदू कट्टरवादियों के प्रति फेसबुक के पक्षपातपूर्ण रवैये की एक कड़ी बताया गया था।
तलब
संसदीय समिति के सामने पेश हुए थे फेसबुक के अधिकारी
अखबार के इस खुलासे के बाद फेसबुक पर गंभीर सवाल उठे थे और एक संसदीय समिति ने उसके अधिकारियों को तलब किया था।
कंपनी ने रिपोर्ट प्रकाशित होने के कुछ दिन बाद टी राजा को बैन भी कर दिया था, वहीं अंखी दास ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया था। मामले में अपना बचाव करते हुए कंपनी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था, हालांकि भड़काऊ बयानबाजी को रोकने के लिए और प्रयास करने की जरूरत बताई थी।