कोरोना से जुड़ी फर्जी सूचनाओं पर फेसबुक की कार्रवाई, तीन महीने में हटाई 70 लाख पोस्ट
कोरोना वायरस महामारी ने इस समय पूरी दुनिया में हाहाकार मचाया हुआ है। लोगों में भी इसका भय बना हुआ है और सोशल मीडिया पर प्रतिदिन इससे जुड़ी सैकड़ों पोस्ट अपलोड की जा रही हैं। इनमें कोरोना वायरस के इलाज का दावा करते हुए सामग्री बेचने का भी प्रचार किया जा रहा है। इसको लेकर सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक ने सजगता दिखाई है और पिछले तीन महीने में कोरोना से जुड़ी करीब 70 लाख फर्जी पोस्टों को हटा दिया।
फेसबुक की ओर से जारी रिपोर्ट में सामने आए आंकड़े
बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार फेसबुक की ओर से जारी की गई छठी कम्युनिटी स्टैंडर्ड इन्फोर्समेंट रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने दूसरी तिमाही में 70 लाख से अधिक फर्जी पोस्ट हटाई है। कंपनी ने कहा कि वह साल 2021 से रिपोर्ट में शामिल आंकड़ों की ऑडिट के लिए बाहरी विशेषज्ञों को भी आमंत्रित करेगी। वह अपने प्लेटफ़ॉर्म पर भ्रामक और गलत जानकारी को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में लगातार काम कर रही है।
फेसबुक ने हटाई आतंकवाद से जुड़ी करीब 87 लाख पोस्ट
कंपनी की ओर से प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार उसने दूसरी तिमाही में नफरत फैलाने वाली करीब 2.25 करोड़ (22.5 मिलियन) पोस्टों को हटाया है। पहली तिमाही के मुकाबले में इनमें 96 लाख की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह कंपनी ने आतंकवादी संगठनों से जुड़ीं करीब 87 लाख पोस्ट भी हटाई हैं, जबकि पहली तिमाही में यह संख्या 63 लाख थी। इसके अलावा 'संगठित घृणा' से जुड़ी 40 लाख पोस्ट हटाई है, जो पहली तिमाही में 47 लाख थी।
समीक्षा के लिए ऑटोमेशन पर अधिक निर्भर रही कंपनी
फेसबुक के उपाध्यक्ष गाय रोसेन ने कहा कि अप्रैल में पोस्ट की समीक्षा के लिए वह ऑटोमेशन पर अधिक निर्भर रही थी। इसका प्रमुख कारण यह था कि कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू हुए लॉकडाउन के चलते उसके कार्यालयों में समीक्षकों की उपस्थिति बेहद सीमित रही थी। इस वजह से खुदकुशी और बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्री के खिलाफ व्यापक स्तर पर कार्रवाई नहीं की जा सकी है। भविष्य में इसे मजबूत किया जाएगा।
फेसबुक ने किया घृणास्पद भाषण नीति का विस्तार
उपाध्यक्ष रोसेन ने कहा कि कंपनी ने अपनी घृणास्पद भाषण नीति का विस्तार किया था। जिसमें रंगभेद को उकसाने वाली पोस्ट या दुनिया को नियंत्रित करने वाले यहूदियों से संबंधित रूढियां शामिल थी। उन्होंने कहा कि गत दिनों कुछ अमेरिकी राजनेताओं और सार्वजनिक हस्तियों ने रंगभेद पर टिप्पणी कर विवाद को जन्म दे दिया था। रंगभेद का इस्तेमाल लंबे समय से अफ्रीकी-अमेरिकियों को नीचा दिखाने के लिए किया जाता रहा है।