महाराष्ट्र में जांच करने से पहले अब CBI को लेनी होगी राज्य सरकार की मंजूरी
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) अब महाराष्ट्र सरकार की अनुमति के बिना राज्य में कोई जांच नहीं कर सकेगी। राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार ने बुधवार को राज्य में जांच के लिए CBI को दी गई आम सहमति वापस ले ली और अब यहां कोई भी जांच करने से पहले CBI को राज्य सरकार का अनुमति लेनी होगी। महाराष्ट्र सरकार का ये फैसला शिवसेना और भाजपा के बीच टकराव का नया मुद्दा बन सकता है, जो पहले से ही आमने-सामने हैं।
1989 में दी गई थी आम सहमति
CBI दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के अंतर्गत आती है और इसके तहत किसी राज्य में जांच करने से पहले CBI के लिए उस राज्य की सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य है। 22 फरवरी, 1989 को सभी राज्यों ने इस अधिनियम के अंतर्गत बनी एजेंसियों को अपने यहां जांच की आम सहमति दे दी थी और बुधवार को अपने नए आदेश के जरिए महाराष्ट्र सरकार ने इसी सहमति को वापस लिया है।
उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया फैसला
CBI से आम सहमति वापस लेने का ये फैसला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में हुई एक बैठक में लिया गया। इस बैठक में राज्य के सार्वजनिक कार्य मंत्री अशोक चव्हाण, मुख्य सचिव संजय कुमार, मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार अजय मेहता और अपर मुख्य सचिव आशीष कुमार सिंह भी शामिल हुए। बैठक के बाद चव्हाण ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि राज्य के हित को देखते हुए CBI को दी गई सहमति को वापस लिया गया है।
TRP घोटाले की जांच CBI के हाथों में जाने की आशंका के चलते लिया गया फैसला
चव्हाण ने ये भी कहा कि CBI के रिपब्लिक टीवी और चार अन्य चैनलों द्वारा TRP में धांधली के मामले की जांच मुंबई पुलिस से छीनने की कोशिश की आशंका के चलते ये फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा, "हम TRP घोटाले पर भी चर्चा की। ये आशंका व्यक्त की गई कि CBI जांच को अपने हाथों में ले सकती है।" उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार गैर-भाजपा शासित राज्यों की सरकारों के दैनिक कामकाज में दखल दे रही है।
चव्हाण बोले- मुंबई पुलिस कर रही शानदार काम, CBI को क्यों सौंपे मामला
चव्हाण ने कहा, "जब मुंबई पुलिस न केवल TRP मामले बल्कि हर मामले में शानदार काम कर रही है तो हमें जांच CBI को क्यों सौंपनी चाहिए? मुंबई पुलिस की पेशेवर क्षमता को कम करके आंकना बिल्कुल गलत है। मुझे विश्वास है कि TRP घोटाले की जांच अपने तार्किक अंत तक पहुंचेगी।" उन्होंने साफ किया कि अगर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जांच को CBI को सौंपने का निर्देश देते हैं तो उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं होगी।
एक दिन पहले ही CBI ने दर्ज किया था TRP घोटाले में केस
बता दें कि CBI ने एक दिन पहले ही भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के लखनऊ में दायर एक शिकायत के आधार पर TRP रेटिंग में धांधली के मामले में केस दर्ज किया था। इसके बाद से ही आशंका जताई जा रही थी कि CBI इसे अंतरराज्यीय मामला बता कर मामले की जांच मुंबई पुलिस से छीन अपने हाथों में ले सकती है। सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बहुचर्चित मामले में बिल्कुल ऐसा ही हो चुका है।