राजनेताओं के खिलाफ लंबित पड़े हैं लगभग 4,500 मामले, सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी
देश के कई मौजूदा और पूर्व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लगभग 4,500 आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें से 2,556 मामले मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित हैं। हाई कोर्ट की तरफ से सामने आई इस जानकारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी हैरानी जताई है। राजनेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेताओं के प्रभाव के कारण इनमें से कई मामले शुरुआती स्तर पर ही लंबित पड़े हैं।
174 ऐसे मामले लंबित जिनमें उम्रकैद का प्रावधान
याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस सुर्यकांत और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने कहा कि नेताओं के खिलाफ लंबित 4,432 मामलो में 174 ऐसे हैं, जिनमें उम्रकैद की सजा तक हो सकती है। हाई कोर्ट की तरफ से मिली जानकारी को देखते हुए जजों ने कहा कि इनके अलावा 353 मामले ऐसे हैं, जिनके ट्रायल पर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक लगाई गई है।
उत्तर प्रदेश और बिहार के नेताओं के खिलाफ सर्वाधिक लंबित मामले
इन मामलों में कई तो दशकों से लंबित पड़े हैं। बंगाल और पंजाब में कुछ मामले 1981 और 1983 से लंबित हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश और बिहार में कई मामले 1991 से चल रहे हैं, लेकिन उनमें कोई फैसला नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 1,217 राजनेताओं के खिलाफ मामले लंबित हैं। इनमें से 446 मामले मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ हैं। इसके बाद बिहार में 531 मामलों में से 256 में मौजूदा जनप्रतिनिधि आरोपी हैं।
दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर उम्रभर प्रतिबंध की मांग
यह याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की तरफ से दायर की गई है। इसमें उन्होंने दोषी पाए गए नेताओं के चुनाव लड़ने पर उम्रभर का प्रतिबंध लगाने की मांग की है। अभी अगर किसी नेता को सजा होती है तो उसके छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक रहती है। याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट्स से मौजूदा और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित पड़े सभी मामलों की जानकारी मांगी है।
16 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
देश की शीर्ष कोर्ट ने हाई कोर्ट्स से नेताओं के खिलाफ लंबित भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और सीमा शुल्क से जुड़े मामलों की भी जानकारी मांगी है। हाई कोर्ट्स को ये सभी जानकारियां दो दिनों के भीतर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की मदद कर रहे एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया को देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह एमिकस क्यूरी की तरफ से मिले सुझावों पर मामले की 16 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर गौर करेगी।
सुप्रीम कोर्ट को दिए गए ये सुझाव
हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिपोर्ट दायर की है। इसमें उन्होंने ऐसे मामलों के निपटारे के लिए हर जिले में विशेष अदालतें, विशेष सरकारी वकीलों की नियुक्ति और गवाहों की सुरक्षा के लिए विशेष कार्यक्रमों समेत अन्य सुझाव दिए हैं।