विश्व चॉकलेट दिवस 2023: जानिए इसका इतिहास, महत्व और अन्य महत्वपूर्ण बातें
विश्व चॉकलेट दिवस हर साल 7 जुलाई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य इसकी लोकप्रियता के बारे में लोगों को बताना और चॉकलेट के गुणों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। चॉकलेट कोको पेड़ के फल से बनाई जाती है, जिसकी खेती मेक्सिको, मध्य अमेरिका और उत्तरी दक्षिण अमेरिका में बड़े पैमाने पर की जाती है। आइए आज हम आपको विश्व चॉकलेट दिवस के इतिहास से लेकर महत्व तक, सब कुछ विस्तार से बताते हैं।
कब से हुई इस दिवस की शुरूआत?
कोई नहीं जानता कि विश्व चॉकलेट दिवस मनाने का विचार वास्तव में किसने दिया, लेकिन कई लोगों का मानना है कि 7 जुलाई, 1550 को चॉकलेट पहली बार यूरोप में लाई गई थी। यही कारण है कि इस खास तारीख को चुना गया है। पहला विश्व चॉकलेट दिवस साल 2009 में मनाया गया था और तब से लेकर अब तक 7 जुलाई को ही विश्व चॉकलेट दिवस मनाया जाता है।
क्या है विश्व चॉकलेट दिवस का महत्व?
विश्व चॉकलेट दिवस को महत्वपूर्ण माने जाने के पीछे बड़ा कारण है कि यह दुनिया के सबसे प्रिय व्यंजनों में से एक है। ऐसे में चॉकलेट आनंद और उत्सव का प्रतीक बन जाती है। एक तरह से यह चॉकलेट के समृद्ध इतिहास, बेहतरीन शिल्प कौशल और उस आनंद का सम्मान करने का दिन है, जो चॉकलेट हमारे जीवन में लाई है। चॉकलेट की कई किस्में मौजूद हैं और उनसे बने व्यंजन स्वाद के साथ-साथ तृप्ति का भी अहसास कराते हैं।
कैसे मनाएं यह दिन?
इस दिवस को आप कई तरह से मना सकते हैं। उदाहरण के लिए किसी स्थानीय चॉकलेट की दुकान या बेकरी पर जाएं और अपनी पसंदीदा चॉकलेट का लुत्फ उठाएं। इसके अतिरिक्त आप चाहें तो अपने दोस्तों के साथ चॉकलेट डेजर्ट पार्टी भी आयोजित कर सकते हैं। इस मौके पर रचनात्मक बनें और चॉकलेट-थीम वाली गतिविधियों का हिस्सा बनें। आप चाहें तो चॉकलेट के बारे में जानने के लिए कुछ किताबें भी पढ़ सकते हैं।
चॉकलेट से मिलने वाले फायदे
डार्क चॉकलेट में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण तनाव से छुटकारा दिलाने के साथ मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स शरीर के मुक्त कणों से लड़ने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में सहायक है। डार्क चॉकलेट में मौजूद कोको और फ्लैवनॉल टाइप-2 मधुमेह के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।