हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट, दोनों के बारे में विस्तार से जानिए
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार की रात कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। वह लंबे समय से सेहत संबंधी समस्याओं का सामना कर रही थीं। तीन साल पहले 2016 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। शुरुआत में कहा गया कि उनका निधन हार्ट अटैक की वजह से हुआ है, लेकिन बाद में पता चला कि उनके मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट था। हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में क्या अंतर है, यहाँ विस्तार से जानिए।
क्या है हार्ट अटैक?
आसान भाषा में कहा जाए तो हार्ट अटैक उस स्थिति को कहते हैं, जब दिल की नसों में ख़ून का कोई थक्का अटक जाता है और दिल की तरफ़ बहने वाला ख़ून रुक जाता है। इससे दिल तक ख़ून नहीं पहुँचता है, जिससे शरीर के अन्य हिस्सों तक भी ख़ून नहीं पहुँचता है। ख़ून द्वारा शरीर के अंगों को ऑक्सीजन मिलता है, लेकिन ख़ून न पहुँचने से ऑक्सीजन भी नहीं पहुँचता है, जिससे व्यक्ति धीरे-धीरे मरने लगता है।
हार्ट अटैक के लक्षण
जब किसी को हार्ट अटैक आता है तो छाती में बहुत तेज़ दर्द होता है। साथ ही गर्दन, पीठ और सीधे हाथ में खिंचाव और दर्द होता है और शरीर में कमज़ोरी, थकान, चक्कर आना और उल्टी जैसी समस्या हो जाती है।
क्यों आता है हार्ट अटैक?
हार्ट अटैक आने की कई वजहें हो सकती हैं। हार्ट अटैक तब आता है, जब शरीर की कोरोनरी आर्टरी में अचानक ब्लॉकेज हो जाए। कोरोनरी आर्टरी दिल की पेशियों तक ख़ून पहुँचाता है। ऐसे में जब दिल तक ख़ून का बहाव बंद हो जाता है, तो वह निष्क्रिय हो जाती है और व्यक्ति हार्ट अटैक आ जाता है। सामान्य भाषा में कहें तो हार्ट अटैक वह स्थिति है, जब दिल की कुछ नसें काम करना बंद कर देती हैं।
क्या है कार्डियक अरेस्ट?
वहीं, अगर कार्डियक अरेस्ट वह स्थिति है, जब दिल के अंदर वेंट्रिकुलर फ़ाइब्रिलेशन पैदा हो जाए। आसान शब्दों में कहें तो दिल के अलग-अलग हिस्सों के बीच जब रक्त संचार में कोई दिक्कत आए या अन्य किसी वजह से दिल की धड़कन रुक जाए। ऐसा होने पर व्यक्ति की तुरंत मौत हो जाती है। इसी वजह से कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक से ज़्यादा ख़तरनाक होता है। इससे बचने के लिए मरीज़ को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (CPR) दिया जाता है।
दिल की धड़कन नियमित करने के लिए दिया जाता है CPR
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि CPR देकर मरीज़ की दिल की धड़कन को नियमित किया जाता है। साथ ही मरीज़ को डिफ़ाइब्रिलेटर से बिजली का झटका भी दिया जाता है, ताकि दिल की धड़कन नियमित हो सके।
इन लोगों को होता है कार्डियक अरेस्ट का ज़्यादा ख़तरा
बता दें कि जिन लोगों को पहले से ही दिल संबंधी कोई बीमारी होती है या वो हार्ट अटैक के मरीज़ रह चुके हों, उन्हें कार्डियक अरेस्ट का ख़तरा सबसे ज़्यादा होता है। वहीं, जिन परिवारों में दिल की बीमारी का इतिहास रहा हों, उन्हें भी कार्डियक अरेस्ट का ख़तरा ज़्यादा होता है। ऐसे में उन लोगों को नियमित जाँच करवानी चाहिए और ज़रूरी दवाओं का सेवन करना चाहिए। ऐसा न करने पर उनकी जान को ख़तरा हो सकता है।