मानसून में अस्थमा के मरीज़ों को होती है ज़्यादा परेशानी, ऐसे करें ख़ुद का बचाव
क्या है खबर?
मानसून में मौसम भले ही सुहावना हो जाता है, लेकिन घर के अंदर और बाहर किटाणुओं का प्रकोप बढ़ जाता है। इस वजह से इस मौसम में लोगों को तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
मानसून में सबसे ज़्यादा परेशानी अस्थमा के मरीज़ों को होती है। ऐसे में उन्हें अपनी जीवनशैली में थोड़ा सा बदलाव करके ख़ुद की सेहत का ध्यान रखना चाहिए।
आज हम आपको बताएँगे कि मानसून में अस्थमा के मरीज़ों को क्या करना चाहिए।
कारण
इस वजह से मानसून में बढ़ जाती है अस्थमा की समस्या
मानसून में पोलेन ग्रेन अचानक से ज़्यादा बढ़ जाता है, जिससे उमस की वजह से फ़ंगस में वृद्धि होती है। इससे मरीज़ों में अस्थमा के अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है।
केवल यही नहीं बारिश की वजह से सल्फ़र डाईऑक्साइड व नाइट्रोजन डाईऑक्साइड जैसे रासायनिक तत्वों की वजह से हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है, जो अस्थमा के रोगियों के लिए ख़तरनाक होती है। इसमें बढ़ने वाले वायरल इंफ़ेक्शन अस्थमा के मरीज़ों की समस्या बढ़ाते हैं।
जानकारी
अस्थमा के मरीज़ रखें इन बातों का ख़्याल
अस्थमा के मरीज़ों को मानसून में दवा नियमित रूप से लेनी चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर को ज़रूर दिखाएँ। अस्थमा के मरीज़ों को साँस लेने में दिक्कत हो सकती है, इसलिए दवाई का पूरा डोज़ लें और घर पर कुछ बातों का ध्यान रखें।
#1
नमी और साफ़-सफ़ाई का रखें ध्यान
घर के जिस हिस्से में नमी व उमस हो, उसे पूरी तरह से सुखाएँ। उमस ख़त्म करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल कर ह्यूमिडिटी को 25 से 50% के बीच रखें। इसके अलावा घर में AC और एक्जॉस्ट फैन का इस्तेमाल करें।
अस्थमा के मरीज़ों को घर और उसके आस-पास की सफ़ाई का भी ख़ास ध्यान रखना चाहिए। बाथरूम की रोज़ाना सफ़ाई करें और घर की सफ़ाई करने के लिए उन प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें जो बैक्टीरिया ख़त्म कर सकें।
#2
कमरे में नमी वाली चीज़ों को न रखें
अगर कमरे में पौधे रखे हुए हैं, तो उन्हें बारिश के मौसम में बाहर निकालें, इससे कमरे में नमी नहीं होगी।
अगर आप बारिश से पहले घर में कलर करवा रहे हैं, तो उसमें फंगल इंफ़ेक्शन को ख़त्म करने वाले केमिकल मिलाएँ।
जिस दिन तेज़ हवा चले, उस दिन घर के अंदर ही रहें और खिड़कियों को भी बंद रखें, क्योंकि मानसून में चलने वाली हवा में पोलेन ग्रेन की ज़्यादा मात्रा होती है।
#3
बिस्तर और पालतू जानवरों की साफ़-सफ़ाई
मानसून में न केवल घर बल्कि बिस्तर, तकिए और क़ालीन में भी नमी हो जाती है, जिससे फंगल इंफ़ेक्शन होने का ख़तरा बढ़ जाता है। इसलिए कोशिश करें कि इनमें नमी न हो। इनकी सफ़ाई करते समय मास्क ज़रूर लगाएँ।
इसके अलावा अगर घर में कोई पालतू जानवर है, तो उससे दूर रहें। उन्हें सप्ताह में एक बार ज़रूर नहलाएँ। इन जानवरों के बालों में कई तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, इसलिए इनके साथ ज़्यादा चिपकने से बचें।
जानकारी
बाहर के खाने से बनाए दूरी
मानसून में ज़्यादातर लोगों को चटपटा खाने का मन करता है, ऐसे में कई लोग बाहर खाना खाते हैं। जबकि, अस्थमा के मरीज़ों को घर पर बने खाने को ही खाना चाहिए। साथ ही भारी खाने की बजाय कुछ हल्का खाएँ।