शिरडी मंदिर के बंद होने की खबरों का अधिकारियों ने किया खंडन, कहा- आरती जारी रहेगी
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के शिरडी में साईं बाबा का मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हालांकि, हाल ही में खबर आई थी कि मंदिर 1 मई से अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया जाएगा।
खबर में यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार ने मंदिर की सुरक्षा के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को तैनात करने का फैसला किया है, लेकिन अब मंदिर अधिकारियों ने इन खबरों का खंडन किया है।
आइए जानते हैं कि अधिकारियों ने क्या-क्या कहा है।
कारण
क्या बताया था मंदिर को बंद करने का कारण?
आतंकी हमले की आशंका के बाद केंद्र सरकार ने मंदिर को बंद करने का फैसला लिया है और मंदिर में CISF को तैनात किया है।
हालांकि, मंदिर के प्रशासन सरकार के फैसले का विरोध कर रहा है।
साईं बाबा मंदिर के प्रशासन का मानना है कि ऐसी धार्मिक जगहों की सुरक्षा व्यवस्था को संभालने के लिए CISF पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं है और न ही इनके पास ऐसी जगहों को होने वाली दिक्कतों को संभालने का कोई अनुभव है।
बयान
मंदिर में आरती और धार्मिक परंपराएं जारी रहेंगी- SSST
श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट (SSST) ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में मंदिर बंद की मीडिया रिपोर्टों का खंडन करते हुए कहा है, "सभी आरती और सभी धार्मिक परंपराएं सोमवार यानी 1 मई 2023 को जारी रहेंगी और उसके बाद संस्थान से सभी सुविधाएं जैसे श्री साई प्रसादालय, सभी भक्त निवास स्थान और अस्पताल आदि हमेशा की तरह नियमित रूप से काम करते रहेंगे।"
यह जानकारी संस्थान के प्रभारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री राहुल जाधव ने दी है।
खिलाफ
मंदिर की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है CISF- प्रशासन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंदिर प्रशासन CISF की तैनाती का विरोध कर रहा है।
उनका कहना है कि यह एक ऐसा बल है जो मुख्य रूप से औद्योगिक प्रतिष्ठानों, मेट्रो स्टेशनों और हवाई अड्डों की सुरक्षा करता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रस्ट का मानना है कि CISF मंदिर की सुरक्षा संभालने के लिए सुसज्जित नहीं है।
बता दें कि सभी उम्र और सभी धर्मों के लोग साईं बाबा के मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं।
प्रभाव
मंदिर को बंद करने से स्थानीय समुदाय होगा प्रभावित
फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन का मंदिर को बंद या असीमित समय के लिए बंद करने के कथित निर्णय को स्थानीय समुदाय का समर्थन प्राप्त था।
हालांकि, यदि ऐसा होता तो इसका स्थानीय समुदाय पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता, जो मंदिर में आने वाले पर्यटकों पर बहुत अधिक निर्भर है।
ऐसे में होटल, दुकानें आदि बंद करनी पड़ती और हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ता। इसके अलावा लाखों यात्रियों की योजना भी प्रभावित होती।