शहीद दिवस: महात्मा गांधी की 76वी पुण्यतिथि आज, जानिए इतिहास और महत्व
क्या है खबर?
महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता हैं। शांति के सबसे बड़े समर्थकों में से एक गांधी ने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया और भारत को आजादी दिलाने में सहयोग किया।।
उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के अहिंसक और शांतिपूर्ण तरीकों को अपनाया।
देश को आजादी मिलने के बाद, 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
हर साल इस दिन को उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है।
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कब है महात्मा गांधी की पुण्यतिथि?
आजादी के महज एक साल गुजरने के उपरांत ही महात्मा गांधी ने अपनी अंतिम सांस ली।
30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिड़ला भवन में महात्मा गांधी की शाम की प्रार्थना हो रही थी। इसी दौरान नाथूराम गोडसे ने उन्हें 3 गोलियां मारी थीं। इसके बाद उसे तुरंत मौके से ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
इस दिन महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। साथ ही यह दिन शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
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इतिहास
30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी शाम की प्रार्थना को संबोधित करने जा रहे थे।
शाम लगभग 5:17 बजे नाथूराम गोडसे ने पिस्तौल से महात्मा गांधी के सीने में 3 गोलियां उतार दीं। वह लंबे समय से गांधी के विचारों का विरोधी था।
कोर्ट में अपने बयान में गोडसे ने कहा था, "गांधी की अहिंसा की सीख हिंदू समुदाय को नपुंसक बना देगी और अन्य समुदायों, खासकर मुस्लिमों के आक्रमण का विरोध करने में (हिंदू) समुदाय असमर्थ रहेगा।"
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शहीद दिवस का महत्व
महात्मा गांधी शांति और अहिंसा का पालन करने और लोगों को प्रेरणा देने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अहिंसा का परचम लहराया।
अहिंसा और शांति का 'स्कूल दिवस' महात्मा गांधी की पुण्य तिथि (30 जनवरी) पर मनाया जाता है। यह दिन संघर्ष समाधान के शांतिपूर्ण तरीकों का पता लगाने के लिए स्कूलों में युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए समर्पित है।
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नेता करते हैं राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित
हर साल शहीद दिवस पर भारत न केवल गांधी बल्कि उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद करता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
नेता दिल्ली में गांधी जी के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं और 2 मिनट का मौन रखते हैं।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री महात्मा गांधी की समाधि पर राजघाट पर एकत्रित होकर बापू की प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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एकता और सद्भाव का प्रतीक
गांधी जी ने सामाजिक न्याय और सांप्रदायिक सद्भाव का समर्थन किया। उन्होंने अछूतों सहित हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों की वकालत की।
साथ ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच भाईचारा बढ़ाने के अथक प्रयास किए। समावेशी भारत के उनके दृष्टिकोण ने उनके हर कार्य का मार्गदर्शन किया।
बापू ने गरीबी को कम करने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार करने, जातीय सद्भाव का निर्माण करने और जाति व्यवस्था के अन्याय को खत्म करने के अभियानों का नेतृत्व किया।