कब से शुरू हैं शारदीय नवरात्रि? जानिए त्योहार का महत्व, तिथि और मनाने का तरीका
16 दिवसीय पितृ पक्ष के समापन के बाद मां दुर्गा को समर्पित शारदीय नवरात्रि की शुरूआत 3 अक्टूबर से होने वाली है और इसका समापन 11 अक्टूबर को होगा। इस अवसर पर 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में लोग देवी को अपने-अपने तरीकों से रिझाने की कोशिश करते हैं और उपवास भी रखते हैं। आइए आज इस त्योहार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
नवरात्रि में पूजी जाने वाली नौ देवियां कौन-कौन सी हैं?
नवरात्रि के पहले दिन पर मां दुर्गा के प्रथम अवतार शैलपुत्री की पूजा की जाती है। दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्माण्डा, 5वें दिन स्कंदमाता, 6वें दिन कात्यायनी, 7वें दिन कालरात्रि, 8वें दिन महागौरी और 9वें दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है। इस त्योहार के 8वें और 9वें दिन पर कन्या पूजन होता है, जबकि इसके बाद यानी 10वें दिन (12 अक्टूबर) पर दशहरा मनाया जाएगा।
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है शारदीय नवरात्रि
भगवान ब्रह्मा ने राक्षस महिषासुर को एक शर्त के साथ अमरता का वरदान दिया था, लेकिन शर्त थी कि उसे एक महिला ही हरा सकेगी। राक्षस को विश्वास नहीं था कि कोई भी महिला उसे हराने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली होगी और उसने पृथ्वी पर लोगों को आतंकित करना शुरू कर दिया। इसके बाद भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव ने अपनी ऊर्जा को मिलाकर देवी दुर्गा बनाया, जिन्होंने 10 दिनों के युद्ध के बाद उसका विनाश किया।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
9 दिनों के उत्सव के बाद दुर्गा विसर्जन या दशहरा के साथ नवरात्रि उत्सव समाप्त होता है। इस दिन मां दुर्गा के भक्त उनकी मूर्तियों को जलाशयों में विसर्जित करते हैं और अगले वर्ष उनके आने की कामना करते हैं। यह भगवान राम की रावण पर और मां दुर्गा की महिषासुर पर विजय का भी प्रतीक है। साथ ही नवरात्रि की साधना व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूती प्रदान करने और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति कर सकती है।
नवरात्रि मनाने का तरीका
शारदीय नवरात्रि के दौरान 8 या 9 दिन तक उपवास रखकर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं या फिर घर पर किर्तन का आयोजन कर सकते हैं। अगर आप पहली बार उपवास रख रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप इसकी कलश स्थापना से शुरुआत करें। इसी तरह आप दशमी तक अखंड दीपक जलाकर और दुर्गा सप्तशती के साथ दुर्गा चालीसा के पाठ भी कर सकते हैं। उपवास के दौरान अनाज की बजाय उपवासी आहार खाएं।