आने वाला है क्रिसमस का त्योहार, जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य
क्रिसमस एक ऐसा त्योहार है, जिसे लोग 'साल का सबसे खास' पर्व मानते हैं। इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है, क्यूंकि इसी दिन यीशु मसीह का जन्म हुआ था। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सांता अपनी हिरणों वाली बग्गी पर सवार होते हैं और घर-घर जा कर तोहफे बांटते हैं। हम सबने उनकी कहानी सुनी है, लेकिन इस त्योहार से जुड़े कई ऐसे तथ्य भी हैं, जिनसे ज्यादातर लोग वाकिफ नहीं हैं। आइए ऐसे ही रोचक तथ्य जानते हैं।
सांता क्लॉज के पास है अपना खास कोड
क्रिसमस से पहले सभी बच्चे अपने पसंदीदा चीजों की सूची तैयार करते हैं और अपने प्यारे सांता को चिट्ठी लिखते हैं। हालांकि, क्या अपने कभी सोचा है कि ये चिट्ठियां आखिर किस पाते पर जाती हैं? दरअसल, कनाडा में सांता का 'H0H 0H0' अंकों वाला अपना एक खास डाक कोड है। बच्चे इस कोड पर अपने पत्र भेज सकते हैं और बदले में सांता का जवाब भी पा सकते हैं।
25 दिसंबर को नहीं मनता था क्रिसमस
हर साल 25 दिसंबर को ही क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। बाइबिल के अनुसार, इस त्योहार की तारीख कभी 25 दिसंबर थी ही नहीं। रोम में कैथोलिक गिरजाघर ने 336 ईस्वी में इस तिथि पर क्रिसमस मनाना शुरू किया था। कुछ लोगों का मानना है कि गिरजाघर ने प्राचीन रोम में 25 दिसंबर को होने वाले बुतपरस्त उत्सवों को कम करने के लिए इस तिथि को चुना था।
सांता मोजे में ही क्यों रखते हैं तोहफे?
सांता हमेशा बच्चों के तोहफों को मोजे के अंदर ही रखते हैं। हालांकि, इसकी वजह ज्यादातर लोगों को नहीं पता है। दरअसल, मोजे में उपहार रखने की परंपरा संत निकोलस ने शुरू की थी, जो असल में सांता हैं। संत निकोलस ने 3 बच्चियों वाले एक गरीब परिवार की मदद करने के लिए उनकी चिमनी से सोने के सिक्कों से भरी 3 पोटलियां फेंकी थीं। ये सभी पोटलियां बच्चियों के दीवार पर लटके मोजों में जा गिरी थीं।
सांता के कपड़े हमेशा से नहीं थे लाल
हमने हमेशा सांता को लाल रंग के कपड़ों और टोपी में देखा है। हालांकि, क्या हो अगर हम आपको बताएं कि वह हमेशा से लाल रंग के कपड़े नहीं पहना करते थे? सालों पहले सांता को अक्सर भूरे, हरे या नीले कपड़ों में चित्रित किया जाता था। थॉमस नास्ट पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने उन्हें लाल कपड़ों में चित्रित किया था। इसके बाद, 1931 में कोका-कोला के विज्ञापनों में सांता को लाल कपड़ों में दिखाया गया था।
क्रिसमस के लिए नहीं लिखा गया था 'जिंगल बेल' गाना
स्कूल के दिनों से लेकर आज तक क्रिसमस पर लोग 'जिंगल बेल' गाना गाते हैं। हालांकि, यह मधुर गाना क्रिसमस के त्योहार के लिए बनाया ही नहीं गया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि जिंगल बेल गाना असल में थैंक्सगिविंग त्योहार के लिए बना था। पहले इसका नाम 'वन हॉर्स ओपन स्ले' हुआ करता था। इसे जेम्स लॉर्ड पियरपोंट ने 1850 में मैसाचुसेट्स में लिखा था। इसे सबसे पहले एक गिरजाघर में स्कूली बच्चों द्वारा गाया गया था।