भारत की इन जगहों पर हैं 'रावण' के मंदिर, दशहरे के दिन मनता है शोक
क्या है खबर?
नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दशहरा मनाया जाता है क्योंकि दशमी तिथि को भगवान राम ने लंकाधिपति रावण का वध कर सीता को छुड़ाया था।
इस बार बुराई पर सच्चाई की जीत का पर्व विजया दशमी यानी दशहरा 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
आज हम आपको भारत की छह ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां दशहरे वाले दिन भगवान राम की जगह रावण की पूजा की जाती है।
आइए जानें।
जानकारी
रावण को क्यों कहा जाता है राक्षस?
दशानन जिसे रावण के तौर पर जानते हैं वह बहुत बड़ा विद्वान और शिव जी का भक्त था, लेकिन सीता माता के हरण करने पर राक्षस कहलाने लगा। फिर भी भारत में कई जगह पर रावण को पूजा जाता है।
#1
कर्नाटक: लंकेश्वर महोत्सव
कर्नाटक राज्य के कोलार में लंकेश्वर महोत्सव के दौरान रावण की पूजा के साथ-साथ जुलूस भी निकाला जाता है।
इस जुलूस में रावण के साथ भगवान शिव जी की मूर्ति को भी घुमाया जाता है, क्योंकि मान्यता है कि रावण भगवान शिव का परम भक्त था जिसके कारण कोलार में रावण की पूजा की जाती है।
कोलार के मंडया जिले में मालवल्ली तहसील में रावण का एक मंदिर भी है, जहां रावण की पूजा की जाती है।
जानकारी
मध्य प्रदेश: दस फीट लंबी रावण की प्रतिमा की पूजा
मध्य प्रदेश की विदिशा जगह को रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म स्थान मानते हैं। हर साल दशहरे के दिन यहां के लोग दस फीट लंबी रावण की प्रतिमा की पूजा करते हैं और शुभ अवसरों पर भी लोग इस मूर्ति की पूजा करते हैं।
#3
हिमाचल प्रदेश: बैजनाथ में रावण की पूजा
मान्यता है कि बैजनाथ कस्बा में रावण ने भगवान शिव की वर्षों तक कठोर तपस्या की थी।
साथ ही यह भी माना जाता है कि बैजनाथ कस्बे से होकर ही रावण शिवलिंग लेकर लंका के लिए गुज़रे थे।
वैसे तो बैजनाथ कस्बे में रावण का कोई मंदिर नहीं है, लेकिन फिर भी यहां पर रावण की पूजा की जाती है।
इसके अलावा यह टूरिस्टों को अपनी ओर आकर्षित करता है और यहां रावण के पुतले नहीं जलाए जाते हैं।
#4
मध्य प्रदेश: रावण का पहला मंदिर
विदिशा की ही तरह मंदसौर में भी रावण की पूजा की जाती है।
इस जगह पर मौजूद मंदिर को मध्य प्रदेश में बना रावण का पहला मंदिर माना जाता है।
यहां पर रावण की रुण्डी नाम की विशाल मूर्ति है और महिलाएं इस मूर्ति से सामने से घूंघट करके निकलती हैं क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रावण को मंदसौर का दामाद माना जाता है।
साथ ही मंदोदरी के नाम पर ही इस जगह का नाम मंदसौर पड़ा।
#5
उत्तर प्रदेश: दशानन मंदिर
कानपुर के शिवाला क्षेत्र में मौजूद ये मंदिर साल में सिर्फ एक बार दशहरे वाले दिन ही खुलता है।
दशहरे के दिन इस मंदिर में रावण की मूर्ति का श्रृंगार कर आरती होती है।
सिर्फ दशहरा वाले दिन ही भक्तों को पूजा करने की अनुमति होती है व भारी भीड़ में यहां लोग रावण के दर्शन के लिए आते हैं।
लोगों का मानना है कि 1890 में बने इस मंदिर में तेल के दिए जलाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
#6
राजस्थान: रावण का ससुराल
इस जगह पर भी रावण को पूजा जाता है, सालों से यहां के लोग रावण मंदोदरी को बेटी मानते हैं।
इसके अलावा यहां मौजूद श्रीमाली ब्राह्मण समाज के लोग ही रावण की कुलदेवी खरानना की पूजा करते हैं और खुद को रावण का वंशज बताते हैं।
मंडोर में रावण और मंदोदरी का मंदिर भी है व दशहरे के दिन रावण की मृत्यु और मंदोदरी के विधवा होने की वजह से यहां के लोग विजय दशमी के दिन शोक मनाते हैं।