विश्व हिंदी दिवस: जानिए इस दिन का इतिहास और थीम
हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर स्कूल, कॉलेज और कार्यलायों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें वाद-विवाद प्रतियोगिता, कविता पाठ और नाटक जैसी गतिविधियां शामिल होती हैं। आइए आज हम आपको हिंदी भाषा को समर्पित इस दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
विश्व हिंदी दिवस का इतिहास
10 जनवरी, 1975 को नागपुर में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पहले विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया था और इसी दौरान विश्व हिंदी दिवस मनाने का विचार पेश किया गया था। इसके बाद साल 2006 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की। तब से लेकर आज तक विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जा रहा है।
क्या है इस बार की थीम?
विश्व हिंदी दिवस हर साल अलग-अलग थीम पर मनाया जाता है और इस बार की थीम 'हिंदी- पारंपरिक ज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को जोड़ना' है। इससे पहले साल 2022 में इसकी थीम 'हिंदी को जनमत का हिस्सा बनाना' थी। इस दिवस की थीम का मुख्य उद्देश्य हिंदी को लेकर जागरूकता पैदा करना और इसे दुनियाभर में वैश्विक भाषा के रूप में प्रचारित करना है।
दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है हिंदी
कई शोध के मुताबिक, दुनिया में चीनी और अंग्रेजी के बाद हिंदी तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। अनुमान है कि वर्तमान में देश के करीब 50 करोड़ लोग हिंदी में बातचीत करते हैं, जबकि दुनियाभर में करीब 60 करोड़ लोग हिंदी भाषा बोलते हैं। विदेशों में कई विश्वविद्यालय भी ऐसे हैं, जहां हिंदी भाषा का अध्ययन कराया जाता है। यहां तक कि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में भी कई हिंदी शब्द शामिल हैं।
कैसे सामने आई थी हिंदी भाषा?
वर्तमान में हम जिस हिंदी भाषा का उपयोग कर रहे हैं, इसकी शुरूआत 1900 से मानी जाती है। इतिहासकारों का मानना है कि हिंदी में पहली रचना 1000 की खुमान रासो है। साल 2001 की जनगणना के मुताबिक, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं। पहली बोलती हिंदी फिल्म 'आलम आरा' का प्रदर्शन 14 मार्च, 1931 को हुआ था।