रूस पर लग सकता है टोक्यो ओलंपिक 2020 में हिस्सा लेने पर बैन, जानें कारण
टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए जहां सभी देशों ने अपनी तैयारियों को शुरु कर दिया है तो वहीं रूस एक बड़े संकट में फंसा हुआ है। वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) लंबे समय से रूस के ड्रग टेस्टिंग सिस्टम की जांच कर रहा है और रूस पर डोप टेस्ट में फेल खिलाड़ियों को बचाने के आरोप लग चुके हैं। यदि WADA अपनी जांच में रूस को दोषी पाता है तो उन पर चार साल का बैन लग सकता है।
पिछले पांच सालों से लग रहे हैं रूस पर आरोप
पिछले पांच सालों से जांच कर रहे लोग रूस पर एक जटिल डोपिंग प्रोग्राम चलाने का आरोप लगा रहे हैं जिसके कारण उनके एथलीट्स को इंटरनेशनल इवेंट्स में भाग लेने से रोक दिया गया था। सितंबर 2018 में कई जांचों के बाद WADA ने एथलीट्स पर से बैन हटा दिया था, लेकिन उन्होंने एथलीट्स का डाटा सब्मिट करने की शर्त रखी थी। अब रूस पर उन डाटा में छेड़छाड़ करने का आरोप लग रहा है।
रूस के ही लोगों ने किया था पर्दाफाश
2014 में रूस की 800 मीटर रनर यूलिया स्टेपानोवा और रशियन एंटी डोपिंग एजेंसी (RUSADA) में काम कर चुके उनके पति ने एक डॉक्यूमेंट्री में रूस में डोपिंग को लेकर चल रहे खेल का पर्दाफाश किया था। इसके दो साल बाद RUSADA चीफ रह चुके ग्रिगोरी रूडशेंकोव ने एंटी डोपिंग और गुप्तचर सेवा के मेंबर्स पर 2014 सोची विंटर ओलंपिक में एथलीट्स के यूरिन सैंपल को बदलने का आरोप लगाया था। इसके बाद से लगातार जांच की जा रही थी।
तीन जांचों में सही साबित हुए थे सारे आरोप
WADA द्वारा कराए गए जांच में कनाडा के वकील रिचर्ड मैक्लॉरेन को सोची ओलंपिक में स्टेट स्पॉन्सर डोपिंग के सबूत मिले थे। इंटरनेशनल ओलंपिक कमीशन (IOC) की एक जांच में उस ओलंपिक में कई रशियन एथलीट्स को डोपिंग में शामिल होने का दोषी पाया गया था। IOC की एक दूसरी जांच में पाया गया था कि रशियन अथॉरिटी ने एक सिस्टम बनाया था जिसमें मॉश्को की लैब में रखे खिलाड़ियों के यूरिन सैंपल बदले गए थे।
निरस्त हुई लैब की एक्रीडिटेशन, रियो ओलंपिक से निकाले गए 111 रूसी एथलीट्स
आरोप लगने के बाद 2015 में रूस की एंटी-डोपिंग लैब का एक्रीडिटेशन निरस्त कर दिया गया था। इसके अलावा IOC ने रियो ओलंपिक के लिए रूस के 389 एथलीट्स के दल से ट्रैक एंड फील्ड की पूरी टीम सहित 111 एथलीट्स को निकाल दिया था।
2018 विंटर ओलंपिक में रूस पर लगाया गया पूर्ण प्रतिबंध
मामले की और गहन जांच करने के बाद IOC ने 2018 विंटर ओलंपिक में रूस के भाग लेने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। 168 एथलीट्स को इंटरनेशनल फेडरेशन की व्यवस्था पर हिस्सा लेने दिया गया, लेकिन उन्हें भी न्यूट्रल यूनिफॉर्म पहनना पड़ा था। इसके अलावा किसी भी वीन्यू पर रूस के झंडे को नहीं दिखाया गया था और रशियन ओलंपिक कमेटी को इसमें हिस्सा लेने से पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया था।
जनवरी में WADA ने हासिल किए थे रूसी लैब से सैंपल
जनवरी 2019 में WADA की तीन सदस्यीय कमेटी ने मॉश्को की लैब से 2,262 सैंपल हासिल किए थे। डाटा को रूस के बाहर ले जाया गया था और WADA उनकी जांच कर रही थी। जुलाई में WADA ने कहा था कि उनके लोग मॉश्को लैब से हासिल किए गए सैंपल और उन्हें मुखबिर द्वारा दिए गए डाटा में अंतर खोजने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही रूस द्वारा सब्मिट किए गए डाटा पर सवाल खड़े हो गए थे।
रूस को झेलनी पड़ सकती है कड़ी सजा
WADA ने सोमवार को कहा था कि रूस पर चार सालों का बड़ा बैन लगाया जा सकता है। इसके अलावा लगातार दूसरे ओलंपिक में रूस के एथलीट्स न्यूट्रल यूनिफॉर्म के साथ हिस्सा लेंगे और उनके द्वारा मेडल जीतने पर देश का झंडा ऊंचा नहीं किया जाएगा और ना ही राष्ट्रगान बजाया जाएगा। रूसी एथलीट्स तभी हिस्सा ले सकेंगे जब वह साबित कर देंगे कि वे साफ हैं और साथ ही अन्य कड़े प्रतिबंधों से पार पा लेंगे।
9 दिसंबर को WADA और रूसी अधिकारियों में होगी बैठक
9 दिसंबर को WADA और रूसी अधिकारियों के बीच मीटिंग होगी जिसमें WADA उनसे वास्तविक सैंपल देने की मांग करेगी। यदि उनकी मांग स्वीकार हो जाती है तो RUSADA को एक फॉर्मल नोटिल भेजा जाएगा। रूस ने यदि WADA की बात स्वीकार नहीं की तो मामला स्पोर्ट के लिए कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (CAS) में ले जाया जाएगा। यदि CAS भी मांगों को जारी रखता है तो रूस WADA की बात मानने को बाध्या होगा।