
दशहरा 2022: जानिए इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और इसका इतिहास
क्या है खबर?
नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दशहरा मनाया जाता है क्योंकि माना जाता है कि दशमी तिथि को भगवान राम ने लंकाधिपति रावण का वध कर सीता को छुड़ाया था।
इस बार बुराई पर सच्चाई की जीत का पर्व विजयादशमी यानी दशहरा 5 अक्टूबर को है। इस मौके पर देशभर में रावण दहन का भव्य उत्सव मनाया जाता है।
आइए आज हम आपको दशहरे का शुभ मुहूर्त, इसका महत्व और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बताते हैं।
मुहूर्त
दशहरा का शुभ मुहूर्त
दशहरा तिथि को अबूझ मुहूर्त माना जाता है जिसमें बिना किसी मुहूर्त के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। फिर भी विजयादशमी का शुभ मुहूर्त तीन भागों में विभाजित है, जो इस प्रकार है:-
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:12 मिनट से लेकर 2:53 मिनट तक
अमृत काल: सुबह 11:32 से लेकर दोपहर 1:03 मिनट तक
दुर्मुहूर्त: सुबह 11:52 मिनट से लेकर 12:39 मिनट तक
वहीं, बंगाल विजयादशमी की अपराह्न पूजा का समय दोपहर 01:20 बजे से 03:41 बजे तक का है।
इतिहास
दशहरा क्यों मनाया जाता है?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण लंका का एक राजा था जिसने भगवान राम की पत्नी सीता का अपहरण किया और उसे अपने राज्य लंका ले गया और वहां उसने सीता को बंधक बना लिया।
इसके बाद भगवान राम ने अपनी सेना के साथ लंका की यात्रा की और युद्ध के दसवें दिन रावण का वध किया।
तब से देशभर में इस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है।
महत्व
दशहरे का महत्व
दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और दिवाली के दिन वह 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे।
दशहरे के मौके पर रावण को पुतले का दहन करके लोग अपने अंदर की बुराई को दूर करने और राम के गुण लेने की चेष्ठा करते हैं।
इसी दिन मां दुर्गा ने नौ दिन की लड़ाई के बाद महिषासुर का वध किया था।
इस वजह से यह दिन बुराई पर अच्छाई का महत्व समझाता है।
तरीका
कैसे मनाएं दशहरा?
दशहरा, भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है।
इस दौरान कई लोग डांडिया और गरबा खेलकर इस अवसर को मनाते हैं जिसका हिस्सा आप भी बन सकते हैं।
इस मौके पर कई जगहों पर रामलीला का भी आयोजन किया जाता है जहां नाटक में भगवान राम के इतिहास और कहानी को दर्शाया जाता है।
इस नाटक को देखने के लिए जगह-जगह पर मेले लगते हैं जहां जाकर आप उत्सव का आनंद ले सकते हैं।