
नारियल पानी बनाम गन्ने का जूस: गर्मियों के दौरान इनमें से किसका सेवन बेहतर है?
क्या है खबर?
गर्मियों के दौरान पसीना अधिक आता है, जिससे शरीर में पानी और जरूरी तत्वों की कमी हो सकती है। इससे बचने के लिए हाइड्रेट रहना जरूरी है और इसके लिए गन्ने का जूस या फिर नारियल पानी का सेवन किया जा सकता है।
हालांकि, ये दोनों पेय स्वाद में अलग हैं और इनके पोषण संबंधी गुण भी अलग हैं।
आइए जानते हैं कि इन दोनों पेय में से किसका सेवन सेहत के लिए अधिक फायदेमंद हो सकता है।
गन्ने का जूस
गन्ने के जूस के फायदे
गर्मियों में गन्ने का जूस पीना हानिकारक नहीं है, लेकिन इसे बनाते समय खजूर की चीनी या फिर शक्कर का इस्तेमाल न करें क्योंकि ये अप्राकृतिक चीजें हैं। इससे गन्ने के रस की शुद्धता कम हो सकती है और आपकी सेहत पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है।
लाभ के लिए ताजे गन्ने का जूस बनाकर पिएं। इसमें प्राकृतिक तौर पर मिठास होती है, जो शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद कर सकती है।
नारियल पानी
नारियल पानी के फायदे
नारियल पानी एक प्राकृतिक पेय है, जिसमें कैलोरी कम और पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है।
यह पोटेशियम का बेहतरीन स्त्रोत है, जो शरीर में जरूरी तत्वों के संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
इसके अलावा इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन-B, फोलेट, पोटेशियम, जिंक, प्रोटीन और फाइबर जैसे पोषक तत्व भी होते हैं।
नारियल पानी में प्राकृतिक मिठास होती है, जो शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद कर सकती है।
चयन
दोनों में से किसका चयन सेहत के लिए है बेहतर?
गर्मियों में गन्ने का जूस और नारियल पानी दोनों ही हाइड्रेट रखने में मदद कर सकते हैं, लेकिन इनमें से किसी एक का चयन करते समय अपनी सेहत का ध्यान जरूर रखें।
अगर आप मधुमेह से ग्रस्त हैं तो नारियल पानी का चयन करें क्योंकि इसमें मिठास का स्तर कम होता है, जबकि गन्ने के जूस में मिठास का स्तर अधिक होता है।
इसके अतिरिक्त वजन कम करने वालों के लिए भी नारियल पानी का चयन करना बेहतर है।
चयन
गन्ने के जूस और नारियल पानी का अधिक सेवन करने से हो सकते हैं नुकसान
गन्ने के जूस का अधिक सेवन करने से पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस, पेट दर्द और सूजन आदि हो सकती हैं। इसके अलावा इससे रक्त शर्करा का स्तर भी बढ़ सकता है।
दूसरी तरफ नारियल पानी का अधिक सेवन करने से जरूरी तत्वों का असंतुलन हो सकता है। इसके साथ ही इसमें मौजूद पोटेशियम की अधिक मात्रा के कारण किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, जिससे इसके कार्यों में बाधा आ सकती है।